कांवड़ मेला अब अपने समापन के पड़ाव पर है। बुधवार जलाभिषेक के चलते मंगलवार को धर्मनगरी में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। मुख्य मार्गों से लेकर गंगा तट तक कांवड़ यात्रियों का रैला नजर आया।
बम-बम भोले और हर-हर महादेव के जयकारों से गंगा घाट गुंजायमान रहे। कांवड़ यात्रा के 12 वें दिन 56 लाख श्रद्धालु गंगाजल लेकर लौटे। इनमें मिलाकर अब तक 4.12 करोड़ कांवड़ यात्री गंगाजल लेकर गंतव्य को लौट चुके हैं। जिस रफ्तार से बाइक सवार कांवड़ यात्री पहुंच रहे हैं उससे मेला समाप्ति तक कांवड़ यात्रियों का आंकड़ा पांच करोड़ के करीब पहुंचने का अनुमान है।
मुख्य मार्गों से लेकर गंगा तट तक रेला
मंगलवार को हरिद्वार-दिल्ली हाईवे के अलावा शहर के अंदरुनी मार्गों से भी डाक कांवड़ यात्री गंतव्यों को जाते दिखे। बीते वर्षों के मुकाबले इस बार बाइक कांवड़ यात्रियों की तादात ज्यादा रही। रोड़ी बेलवाला,अलकनंदा समेत सभी पार्किंग दो पहिया वाहनों से फुल रहे।
पार्किंग के इतर भी बड़ी तादात में दोपहयाि वाहन खड़े दिखे। वाहनों पर लगे पताका संदूरी आभा बिखेर रहे थे। 17 जुलाई को पंचक खत्म होने के बाद धर्मनगरी में शिवभक्तों का जो रेला उमड़ा वह अनवरत है। कांवड़ मेले के पहले सात दिनों में शिवभक्तों का आंकड़ा डेढ़ करोड़ के आंकड़े को पार कर चुका था।
हालांकि इसके बाद डाक कांवड़ यात्रियों की आमद शुरू हुयी। महज तीन दिनों (18 से 20 जुलाई) में ही आंकड़ा 1.5 करोड़ के अधिक हो गया। प्रशासन को इस बार रेकार्ड पांच करोड़ से अधिक कांवड़ यात्रियों के पहुंचने का अनुमान है।