पराली जलाने से जुड़ा प्रदूषण का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को सख्त संदेश देते हुए कहा है कि पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ अब गिरफ्तारी की कार्रवाई की जाए। अदालत के इस रुख से पंजाब सरकार मुश्किल में आ गई है, क्योंकि गिरफ्तारी के कदम से किसानों के विरोध का खतरा बढ़ सकता है।
पिछले साल पंजाब में पराली जलाने के 10,000 से ज्यादा मामले दर्ज हुए थे। करीब दो करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था, लेकिन केवल सवा करोड़ रुपये की ही वसूली हो सकी। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि राज्य सरकारें किसानों की गिरफ्तारी से बचती रही हैं।
आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद स्थिति और पेचीदा हो गई है। सरकार सीधे किसानों से टकराव नहीं चाहती, जबकि पंजाब में 32 से अधिक किसान संगठन सक्रिय हैं। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चले लंबे आंदोलन के बाद इन संगठनों को जनता का समर्थन और राजनीतिक ताकत दोनों मिली है। ऐसे में गिरफ्तारी का फैसला सरकार के लिए भारी पड़ सकता है।
पंजाब में नवंबर के महीने में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) कई जिलों में 400 तक पहुंच जाता है, जो खतरनाक स्तर है। पिछले वर्ष बठिंडा, मंडी गोबिंदगढ़ और रूपनगर में AQI 400 के पार चला गया था, जबकि ग्रीन सिटी चंडीगढ़ में यह 353 दर्ज हुआ था।
समाधान की कोशिशें जारी हैं। पराली से कोल पैलेट्स और कम्प्रेस्ड बायोगैस बनाने की परियोजनाएं शुरू की गई हैं। अब तक तीन CBG प्लांट स्थापित किए जा चुके हैं और ईंट भट्टों व बॉयलरों में पैलेट्स का प्रयोग हो रहा है। लेकिन यह उपाय 180 लाख टन पराली को निस्तारित करने के लिए नाकाफी साबित हो रहे हैं।
धान की कटाई के बाद पंजाब में हर साल लगभग 180 लाख टन पराली निकलती है। किसानों के पास गेहूं की बुवाई करने के लिए मुश्किल से 15 दिन का समय होता है। इस दौरान उन्हें खेत तैयार करने से लेकर पानी लगाने तक का काम पूरा करना पड़ता है। समय की कमी और खर्च से बचने के लिए कई बार किसान पराली को आग लगा देते हैं। कुछ किसान इसे जिद में भी जलाते हैं।
हालांकि, हाल के वर्षों में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है। पंजाब सरकार 2018 से अब तक किसानों को पराली प्रबंधन के लिए 1.46 लाख से अधिक मशीनें दे चुकी है। पिछले वर्ष 500 करोड़ की सब्सिडी से 22,000 नई मशीनें वितरित की गईं। इसका असर यह हुआ कि 2023-24 में पराली जलाने के 36,663 मामले थे, जबकि 2024-25 में यह घटकर 10,909 रह गए।
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही आदेश दिया था कि पंजाब, हरियाणा और यूपी की सरकारें किसानों को पराली प्रबंधन के लिए 100 रुपये प्रति क्विंटल बोनस दें। लेकिन आज तक किसी भी सरकार ने यह वादा पूरा नहीं किया। यही कारण है कि पराली संकट का स्थायी समाधान अभी तक नहीं निकल सका है।