India-China के रिश्तों में जमी बर्फ अब पिघलना शुरू, भारत का दौरा करेंगे चीनी विदेश मंत्री! सीमा स्थिति की हुई समीक्षा

भारत और चीन ने बुधवार को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ समग्र स्थिति की समीक्षा की और सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता के लिए आधार तैयार किया। भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र की यह 34वीं बैठक नई दिल्ली में हुई।

इसमें दोनों देशों ने सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता की सामान्य स्थिति को लेकर संतोष व्यक्त किया।विदेश मंत्रालय ने बताया, 'दोनों पक्षों ने इस वर्ष के अंत में भारत में होने वाली विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता के अगले दौर के लिए भी तैयारी की।'

चीनी विदेश मंत्री वांग यी कर सकते भारत का दौरा

विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता साल के आखिर में भारत में होगी, जिसमें हिस्सा लेने के लिए चीनी विदेश मंत्री वांग यी के आने की संभावना है। वांग और एनएसए अजीत डोभाल इस वार्ता के लिए विशेष प्रतिनिधि हैं।

सीमा क्षेत्रों की स्थिति की समीक्षा हुई

विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों की स्थिति की समीक्षा की। सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता की सामान्य स्थिति को लेकर संतोष व्यक्त किया। इससे द्विपक्षीय संबंध धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं।

विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, 'दोनों पक्षों ने स्थापित तंत्र के माध्यम से सीमा मामलों से संबंधित मुद्दों पर कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर नियमित आदान-प्रदान और संपर्क बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की।' विशेष प्रतिनिधि स्तर की पिछली वार्ता गत दिसंबर में चीन में हुई थी।


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ट्रम्प फिर बोले- भारत-पाकिस्तान संघर्ष में 5 फाइटर जेट्स गिरे

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर से भारत-पाकिस्तान के बीच जंग में 5 फाइटर जेट्स के गिरने का दावा किया है। ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में मंगलवार को एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि दोनों देशों के बीच तनाव बहुत ज्यादा बढ़ गया था।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि संघर्ष के बीच उन्होंने हस्तक्षेप किया और इसे रोकने में कामयाब हुए। ट्रम्प ने कहा कि उस समय दोनों देशों के बीच संघर्ष गंभीर हो गया था, 5 फाइटर जेट्स गिराए जा चुके थे। किसी भी वक्त परमाणु हथियारों का इस्तेमाल हो सकता था।

गौरतलब है भारत-पाकिस्तान के बीच 10 मई को सीजफायर हुआ था। तब पहली बार ट्रम्प ने सीजफायर कराने का दावा किया था। बीते 73 दिनों में वे 25 बार जंग खत्म करने का दावा कर चुके हैं।

सरी बार कहा- भारत-पाक संघर्ष में 5 विमान गिरे ट्रम्प ने कहा कि उन्होंने दोनों देशों के नेताओं को फोन किया और चेतावनी दी कि अगर लड़ाई नहीं रुकी तो अमेरिका व्यापार रोक देगा। वे दोनों देश परमाणु हथियार रखते हैं। कौन जानता है कि इसका अंजाम क्या होता, लेकिन उन्होंने इसे रोक दिया। ट्रम्प ने यह भी बताया कि यह बातचीत एक बार नहीं, बल्कि कई बार हुई।

यह पहली बार नहीं है जब ट्रम्प ने इस तरह का दावा किया है। इससे पहले भी उन्होंने शुक्रवार को कहा था कि भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराया था।

इसी महीने, व्हाइट हाउस में रिपब्लिकन नेताओं के साथ एक निजी डिनर के दौरान ट्रम्प ने फिर दोहराया था कि भारत और पाकिस्तान एक-दूसरे पर हमला कर रहे थे और चार या पांच विमान हवा में ही गिरा दिए गए थे। उन्होंने कहा, “विमानों को हवा में ही मार गिराया जा रहा था... 5, 5, 4 या 5, लेकिन मुझे लगता है कि असल में 5 विमान मार गिराए गए थे।”

संघर्ष को लेकर भारत-पाकिस्तान के दावे...

भारत का दावा- पाकिस्तान के 6 फाइटर जेट तबाह हुए

सरकारी सूत्रों के हवाले से दावा किया था की ऑपरेशन सिंदूर में इंडियन एयरफोर्स के हमले में पाकिस्तान के 6 फाइटर जेट, 3 एयरक्राफ्ट और 10 से ज्यादा ड्रोन और क्रूज मिसाइलें तबाह हुई थीं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 6 से 10 मई के बीच भारत ने पाकिस्तान के पंजाब और PoK (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) में मौजूद आतंकी ठिकानों पर हमला किया था। इसके बाद पाकिस्तान ने भी जवाब देने की कोशिश की, लेकिन भारतीय वायुसेना ने न केवल जवाब दिया, बल्कि पाकिस्तान को भारी नुकसान पहुंचाया।

ऑपरेशन सिंदूर में इंडियन एयरफोर्स के रडार और एयर डिफेंस सिस्टम्स ने पाकिस्तान के फाइटर जेट्स को हवा में ही निशाना बनाया। सुदर्शन मिसाइल सिस्टम के जरिए लगभग 300 किलोमीटर दूर उड़ रहे एक हाई-वैल्यू एयरक्राफ्ट को भी मार गिराया गया था। ये एयरक्राफ्ट या तो इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम से लैस था या एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग कंट्रोल सिस्टम।

इसके अलावा, राफेल और सुखोई-30 ने पाकिस्तानी सेफ सेंटर (हैंगर) को निशाना बनाया, जिसमें मेड इन चीन विंग लूंग ड्रोन तबाह हुए। सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान के भोलारी एयरबेस पर भी एक स्वीडिश मूल का AEWC विमान तबाह हुआ था।

पाकिस्तानी PM बोले थे- 5 भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराया

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने 7 मई को पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था। 7 मई को ही पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने संसद में दावा किया था कि हमने भारत के हमले के जवाब में कार्रवाई की, जिसमें 5 भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराया गया। पांच विमानों में 3 राफेल थे। बाद में पाकिस्तान 6 भारतीय विमान गिराने का दावा करने लगा था।

पाकिस्तान ने 11 जुलाई को दोबारा भारत के 6 लड़ाकू विमानों को गिराने का दावा किया था। विदेश कार्यालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने प्रेस ब्रीफिंग में भारत को लड़ाकू विमान गंवाने की बात मानने को कहा था।

अली खान ने कहा- भारत को काल्पनिक कहानियों का सहारा लेने के बजाय यह स्वीकार करना चाहिए कि भारत के छह लड़ाकू विमानों को मार गिराया गया और दूसरे मिलिट्री ठीकानो को गंभीर नुकसान पहुंचा।

CDS चौहान बोले थे- मुद्दा यह नहीं कि कितने विमान गिरे, बल्कि क्यों गिरे

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) अनिल चौहान ने मई में ब्लूमबर्ग के साथ बातचीत में विमान मार गिराए जाने का जिक्र किया था। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया था कि किसके और कितने विमान गिरे।

ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में CDS ने कहा था असली मुद्दा यह नहीं है कि कितने विमान गिरे, बल्कि यह है कि वे क्यों गिरे और हमने उनसे क्या सीखा। भारत ने अपनी गलतियों को पहचाना, उन्हें जल्दी सुधारा और फिर दो दिन के भीतर दुश्मन के ठिकानों को लंबी दूरी से निशाना बनाकर एक बार फिर प्रभावी तरीके से जवाब दिया।

पाकिस्तान के 6 भारतीय जेट गिराने के दावों को लेकर CDS चौहान ने कहा था- बिल्कुल गलत है। गिनती मायने नहीं रखती, बल्कि यह मायने रखता है कि हमने क्या सीखा और कैसे सुधार किया। इस संघर्ष में कभी भी परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की नौबत नहीं आई, जो कि एक राहत की बात है।



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सुधर रहे भारत-चीन के रिश्ते, पांच साल बाद टूरिस्ट वीजा को लेकर किया बड़ा एलान

 भारत ने पांच साल के लंबे इंतजार के बाद चीनी सैलानियों के लिए अपने दरवाजे फिर से खोल दिए हैं। 24 जुलाई से चीनी नागरिकों को भारत के पर्यटक वीजा मिलना शुरू हो जाएंगे। भारत के बीजिंग स्थित दूतावास ने बुधवार को इसकी घोषणा की।

इस एलान के साथ ही दोनों देशों के बीच रिश्तों में नई गर्माहट की उम्मीद जगी है। 2020 में कोविड-19 महामारी को रोकने के लिए भारत ने सभी पर्यटक वीजा रद कर दिए थे। लेकिन अब चीनी नागरिक ऑनलाइन आवेदन करके, अपॉइंटमेंट लेकर और बीजिंग, शंघाई और ग्वांगझू के भारतीय वीजा सेंटर्स में पासपोर्ट और अन्य दस्तावेज जमा करके वीजा हासिल कर सकेंगे। 

दूतावास ने साफ किया है कि बीजिंग के भारतीय वीजा केंद्र में जमा किए गए आवेदनों के लिए पासपोर्ट वापसी के वक्त एक पासपोर्ट वापसी पत्र देना होगा। यह कदम प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने के लिए उठाया गया है।

बुरी तरह प्रभावित हुए थे भारत-चीन के रिश्ते

कोविड-19 और 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद भारत-चीन के बीच यात्रा और रिश्ते बुरी तरह प्रभावित हुए थे। जहां चीन ने धीरे-धीरे भारतीय छात्रों और व्यापारियों के लिए वीजा शुरू किए, वहीं आम यात्रा पर पाबंदी थी। गलवान संघर्ष के बाद दोनों देशों के रिश्ते 1962 के युद्ध के बाद के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए थे।


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अमेरिका जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या 70% गिरी

अमेरिका में पढ़ाई के लिए जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में 70% की भारी गिरावट देखी गई है। ट्रम्प प्रशासन की अंतरराष्ट्रीय छात्रों से जुड़ी नीतियों की वजह से वीजा स्लॉट्स में रुकावट और वीजा रिजेक्शन में अचानक बढ़ोतरी से यह स्थिति बनी है।

हैदराबाद ओवरसीज कंसल्टेंट के संजीव राय ने NDTV को बताया- आमतौर पर इस समय तक छात्र अपने वीजा इंटरव्यू पूरे कर चुके होते हैं और अमेरिका जाने की तैयारी कर रहे होते हैं। इस साल हम रोज पोर्टल चेक कर रहे हैं कि कहीं स्लॉट खुल जाएं, लेकिन यह कई सालों में सबसे खराब स्थिति है।

अमेरिकी अधिकारियों ने वीजा स्लॉट्स को अलग-अलग स्टेज में जारी करने का वादा किया था, लेकिन हालात अभी तक क्लियर नहीं हैं, जिससे छात्रों में साल बर्बाद होने का डर बढ़ गया है।

वहीं, विंडो ओवरसीज एजुकेशन कंसल्टेंसी के अंकित जैन ने कहा कि स्लॉट्स बुक करने के बावजूद कई छात्रों को कन्फर्मेशन नहीं मिल रहा। उन्होंने कहा- ऐसा लगता है कि अमेरिका अपने सिस्टम की टेस्टिंग कर रहा है।

दूसरे देशों में पढ़ाई का विकल्प तलाश रहे

इन सब दिक्कतों के चलते कई छात्र अब दूसरे देशों में पढ़ाई के विकल्प तलाश रहे हैं। 23 साल के एक छात्र ने कहा- मैं और इंतजार नहीं कर सकता। मुझे एक साल बर्बाद होने का डर है। अमेरिका का रास्ता बंद लग रहा है।

I20 फीवर कंसल्टेंसी के अरविंद मांडुवा ने चेतावनी दी कि अगर अगले कुछ दिनों में स्लॉट्स नहीं खुले, तो हजारों छात्रों के सपने टूट जाएंगे। हमें हर दिन छात्रों और उनके माता-पिता के फोन आ रहे हैं।

इसके अलावा, मार्च में आवेदन करने वाले छात्र, जिन्हें इंटरव्यू स्लॉट्स मिल चुके थे, अब हाई रिजेक्शन का सामना कर रहे हैं।

ओवरसीज एजुकेशन कंसल्टेंसी के अंकित जैन के मुताबिक, कई छात्र, जिन्हें आमतौर पर आसानी से वीजा मिल जाता था, अब रिजेक्ट हो रहे हैं। उनके सोशल मीडिया प्रोफाइल भी क्लियर हैं। रिजेक्शन का ज्यादातर कारण सेक्शन 214B बताया जा रहा है।

अमेरिकी सरकार का सेक्शन 214(b) बना आफत

सेक्शन 214(b) अमेरिकी इमिग्रेशन कानून का एक प्रावधान है, जो तब लागू होता है जब आवेदक यह साबित नहीं कर पाता कि वह पढ़ाई के बाद अपने देश वापस लौटेगा।

डलास, टेक्सास की यूएस एडमिशन कंसल्टेंसी के रवि लोथुमल्ला ने कहा कि यह प्रोसेस नया नहीं है। नियम और जांच पहले से मौजूद थे, लेकिन अब इन्हें सख्ती से लागू किया जा रहा है।

हैदराबाद में अमेरिकी कॉन्सुलेट ने कहा है कि स्लॉट्स फिर से शुरू हो गए हैं और छात्रों को दूतावास की वेबसाइट पर अपॉइंटमेंट चेक करनी चाहिए।

एक प्रवक्ता ने कहा- हम यह तय करने के लिए पूरी तरह से जांच कर रहे हैं कि आवेदक अमेरिका या हमारे हितों को नुकसान न पहुंचाएं और वे वीजा की शर्तों के मुताबिक काम करें। हम छात्रों से जल्दी आवेदन करने और कुछ ज्यादा देर इंतजार करने को कह रहे हैं।

दो महीने पहले विदेश छात्रों के इंटरव्यू पर रोक लगी

अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने दो महीने पहले विदेशी छात्रों के नए वीजा इंटरव्यू पर रोक लगा दी थी। उनके आदेश का मकसद देश की यूनिवर्सिटीज में यहूदी विरोध और वामपंथी विचारों को रोकना था।

रुबियो ने दुनियाभर में अमेरिकी दूतावासों को आदेश जारी कर कहा था- वे स्टूडेंट वीजा के लिए नए इंटरव्यू शेड्यूल न करें, क्योंकि ट्रम्प सरकार अमेरिका आने वाले छात्रों के सोशल मीडिया प्रोफाइल की जांच को और सख्त करने जा रही है।

उन्होंने आगे कहा था- तत्काल प्रभाव से कॉन्सुलर सेक्शन आगे के दिशा-निर्देश जारी होने तक स्टूडेंट या एक्सचेंज विजिटर (F, M और J) वीजा के लिए नए अपॉइंटमेंट की इजाजत नहीं दे।

हालांकि पहले से शेड्यूल किए गए इंटरव्यू हो सकते हैं, लेकिन लिस्ट में नए अपॉइंटमेंट नहीं जोड़े जाएं। यह रोक F, M और J वीजा कैटेगरी पर लागू होती है, जो ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय छात्रों और एक्सचेंज विजिटर्स को कवर करती हैं।



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ट्रम्प बोले- भारत-पाकिस्तान संघर्ष में 5 जेट गिरे

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान संघर्ष रुकवाने का दावा किया। साथ ही उन्होंने कहा- मुझे लगता है कि भारत-पाकिस्तान जंग में सच में पांच जेट गिरे थे। हालांकि, उन्होंने यह साफ नहीं किया कि ये विमान किस देश के गिरे थे।

ट्रम्प ने ये बात व्हाइट हाउस में रिपब्लिकन सांसदों के साथ डिनर के दौरान कही। ट्रम्प अब तक 24 बार भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने की बात कह चुके हैं। पहली बार ऐसा दावा उन्होंने 10 मई को सोशल मीडिया पर किया था।

दरअसल, पाकिस्तान ने दावा किया था कि उसने लड़ाई में 5 भारतीय विमान मार गिराए थे। वहीं, भारत ने भी कहा था कि पाकिस्तान के कुछ विमान गिराए गए हैं। पाकिस्तान ने अपने किसी भी विमान के नुकसान से इनकार किया, लेकिन हवाई ठिकानों को निशाना बनाने की बात मानी थी।

ट्रम्प बोले थे- हम युद्धों को निपटाने में बहुत सफल रहे

इससे पहले 14 जुलाई को ट्रम्प ने अपने इस दावे को दोहराया था कि उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले के बाद हाल ही में भारत-पाकिस्तान संघर्ष को बढ़ने से रोक दिया था। ट्रम्प ने ये टिप्पणियां नाटो के महासचिव मार्क रूट के साथ अपनी बैठक के दौरान कीं। ट्रम्प ने कहा, 'हम युद्धों को निपटाने में बहुत सफल रहे हैं।'

उन्होंने व्यापार को लाभ के रूप में इस्तेमाल करने की अपनी रणनीति की ओर इशारा करते हुए कहा, 'हमने व्यापार के माध्यम से ऐसा किया। मैंने कहा था कि जब तक आप इस मामले को सुलझा नहीं लेते, हम आपसे व्यापार के बारे में बात नहीं करेंगे, और उन्होंने ऐसा किया।'

युद्ध को लेकर भारत-पाकिस्तान के दावे...

भारत का दावा- पाकिस्तान के 6 फाइटर जेट तबाह हुए

 सरकारी सूत्रों के हवाले से दावा किया था की ऑपरेशन सिंदूर में इंडियन एयरफोर्स के हमले में पाकिस्तान के 6 फाइटर जेट, 3 एयरक्राफ्ट और 10 से ज्यादा ड्रोन और क्रूज मिसाइलें तबाह हुई थीं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 6 से 10 मई के बीच भारत ने पाकिस्तान के पंजाब और PoK (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) में मौजूद आतंकी ठिकानों पर हमला किया था। इसके बाद पाकिस्तान ने भी जवाब देने की कोशिश की, लेकिन भारतीय वायुसेना ने न केवल जवाब दिया, बल्कि पाकिस्तान को भारी नुकसान पहुंचाया।

ऑपरेशन सिंदूर में इंडियन एयरफोर्स के रडार और एयर डिफेंस सिस्टम्स ने पाकिस्तान के फाइटर जेट्स को हवा में ही निशाना बनाया। सुदर्शन मिसाइल सिस्टम के जरिए लगभग 300 किलोमीटर दूर उड़ रहे एक हाई-वैल्यू एयरक्राफ्ट को भी मार गिराया गया था। ये एयरक्राफ्ट या तो इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम से लैस था या एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग कंट्रोल सिस्टम।

इसके अलावा, राफेल और सुखोई-30 ने पाकिस्तानी सेफ सेंटर (हैंगर) को निशाना बनाया, जिसमें मेड इन चीन विंग लूंग ड्रोन तबाह हुए। सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान के भोलारी एयरबेस पर भी एक स्वीडिश मूल का AEWC विमान तबाह हुआ था।

पाकिस्तानी PM बोले थे- 5 भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराया

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने 7 मई को पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था। 7 मई को ही पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने संसद में दावा किया था कि हमने भारत के हमले के जवाब में कार्रवाई की, जिसमें 5 भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराया गया। पांच विमानों में 3 राफेल थे। बाद में पाकिस्तान 6 भारतीय विमान गिराने का दावा करने लगा था।

पाकिस्तान ने 11 जुलाई को दोबारा भारत के 6 लड़ाकू विमानों को गिराने का दावा किया था। विदेश कार्यालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने प्रेस ब्रीफिंग में भारत को लड़ाकू विमान गंवाने की बात मानने को कहा था।

अली खान ने कहा- भारत को काल्पनिक कहानियों का सहारा लेने के बजाय यह स्वीकार करना चाहिए कि भारत के छह लड़ाकू विमानों को मार गिराया गया और दूसरे मिलिट्री ठीकानो को गंभीर नुकसान पहुंचा।

CDS चौहान बोले थे- मुद्दा यह नहीं कि कितने विमान गिरे, बल्कि क्यों गिरे

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) अनिल चौहान ने मई में ब्लूमबर्ग के साथ बातचीत में विमान मार गिराए जाने का जिक्र किया था। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया था कि किसके और कितने विमान गिरे।

ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में CDS ने कहा था असली मुद्दा यह नहीं है कि कितने विमान गिरे, बल्कि यह है कि वे क्यों गिरे और हमने उनसे क्या सीखा। भारत ने अपनी गलतियों को पहचाना, उन्हें जल्दी सुधारा और फिर दो दिन के भीतर दुश्मन के ठिकानों को लंबी दूरी से निशाना बनाकर एक बार फिर प्रभावी तरीके से जवाब दिया।

पाकिस्तान के 6 भारतीय जेट गिराने के दावों को लेकर CDS चौहान ने कहा था- बिल्कुल गलत है। गिनती मायने नहीं रखती, बल्कि यह मायने रखता है कि हमने क्या सीखा और कैसे सुधार किया। इस संघर्ष में कभी भी परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की नौबत नहीं आई, जो कि एक राहत की बात है।



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रूस-यूक्रेन वार के बीच जेलेंस्की का बड़ा फैसला, यूलिया स्विरीडेंकी को बनाया पीएम

 यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने देश की सरकार में बड़ा फेरबदल किया है। उन्होंने मौजूदा प्रधानमंत्री डेनिस श्मिहाल को हटाकर यूलिया स्विरीडेंकी को नया प्रधानमंत्री नियुक्त करने का प्रस्ताव दिया है।

जेलेंस्की द्वारा सरकार में फेरबदल ऐसे समय में किया गया है, जब रूस के साथ यूक्रेन का युद्ध चौथे साल में पहुंच गया है। यूलिया स्विरीडेंकी को देश की नई प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव संसद में रखा गया है। इससे पहले पीएम श्मिहाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

सबसे लंबे समय तक पीएम रहे श्मिहाल

श्मिहाल को अब रक्षा मंत्री पद की जिम्मेदारी दी जा रही है। वह यूक्रेन के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे हैं, जिन्हें 4 मार्च 2020 को नियुक्त किया गया था।

बता दें, यूलिया स्विरीडेंकी ने अमेरिका और यूक्रेन के बीच खनिज समझौते में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और पश्चिमी देशों के साथ कई उच्च स्तरीय बैठकों में देश का प्रतिनिधित्व किया है।

किस पर है जेलेंस्की का मुख्य फोकस?

हाल ही में जेलेंस्की ने यूलिया और डिजिटल ट्रांसफोर्मेशन मंत्री मिखाइलो फेडोरोव के साथ एक फोटो शेयर करते हुए बताया था कि आने वाले छह महीनों में सरकार का मुख्य फोकस स्वदेशी हथियारों का उत्पादन बढ़ाने और सभी प्रकार के ड्रोन की आपूर्ति सुनिश्चित करने पर होगा।

मौजूदी पीएम को रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी

प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद श्मिमहाल को रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। यह मंत्रालय युद्धकाल में सबसे अहम माने जाने वाले विभागों में से एक है और इसका बजट भी काफी ज्यादा है।


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ट्रम्प बोले- हमारे सामानों पर भारत टैक्स नहीं लगाएगा

भारत के साथ व्यापार समझौता करने के लिए अमेरिका बेताब है। इस मामले पर एक तरफ जहां भारत नपा-तुला बयान दे रहा है। वहीं, अमेरिका की ओर से व्यापार समझौते (India-US Trade Deal) पर लगातार बयान दिए जा रहे हैं।

बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर कहा कि दोनों देशों के बीच एक अंतरिम व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है। बातचीत सही दिशा में आगे बढ़ रही है और जल्द ही व्यापार समझौते पर बात बनने वाली है।

जल्द ही भारत के साथ होगी डील: ट्रंप

व्हाइट हाउस में बहरीन के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान ट्रंप ने कहा, हमने कल ही एक डील की है। अब एक और डील आने वाली है, शायद भारत के साथ।”

इससे पहले ट्रंप ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि उनकी सरकार भारत के साथ उसी तरह की ट्रेड डील कर सकती है जैसी इंडोनेशिया के साथ हुई थी। बता दें भारत के वाणिज्य मंत्रालय की एक टीम इस समय वॉशिंगटन में है, जहां व्यापार समझौते को लेकर बातचीत चल रही है।

भारत पर 20 प्रतिशत टैरिफ लगा सकता है अमेरिका

अमेरिका ने 15 जुलाई को एलान किया कि अमेरिका और इंडोनेशिया के बीच एक अहम टैरिफ समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत अब इंडोनेशिया से अमेरिका आने वाले उत्पादों पर 19 प्रतिशत टैक्स लगेगा, जबकि अमेरिकी उत्पादों के निर्यात पर इंडोनेशिया कोई शुल्क नहीं लगाएगा।

ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका-इंडोनेशिया व्यापार समझौते की तर्ज पर भारत के साथ भी समझौता होगा और अमेरिका को भारतीय बाजार में पहुंच मिलेगी। उम्मीद जताई जा रही है कि अमेरिका भारत पर 20 प्रतिशत टैरिफ लगा सकता है।

क्या है भारत की मांग?

भारत इस समझौते में अपने लिए कम से कम टैरिफ की मांग कर रहा है। हालांकि, भारत कुछ मुद्दों पर अभी भी सख्त रुख अपनाए हुए हैं। कृषि और डेयरी जैसे सेक्टरों पर भारत ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। भारत सरकार अमेरिका को इन सेक्टरों में ज्यादा छूट देने के पक्ष में नहीं है। इसके अलावा, स्टील, एल्यूमीनियम और ऑटोमोबाइल को लेकर भी दोनों देशों के बीच विवाद है।


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ट्रम्प बोले-US को इंडियन मार्केट में पहुंच मिलने वाली है

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका भारतीय मार्केट में पहुंच हासिल करने के लिए एक समझौते पर काम कर रहा है। इसके अलावा, उन्होंने इंडोनेशिया के साथ एक नए व्यापार समझौते की घोषणा की। इसके तहत इंडोनेशिया से आने वाले सामान पर अमेरिका 19% टैरिफ लगाएगा।

ट्रम्प ने भारत को लेकर कहा- हमें इंडियन में मार्केट में पहुंच मिलने वाली है। पहले हमें इन देशों में कोई पहुंच नहीं थी। हमारे लोग वहां व्यापार नहीं कर पाते थे। अब टैरिफ के जरिए हम पहुंच हासिल कर रहे हैं।"

ट्रम्प ने बताया कि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो से बात करने के बाद एक व्यापार समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत इंडोनेशिया अमेरिकी इंपोर्ट पर कोई टैरिफ नहीं लगाएगा, जबकि अमेरिका, इंडोनेशिया के निर्यात पर 19% टैरिफ लगाएगा।

इंडोनेशिया, अमेरिका पर जीरो टैरिफ लगाएगा

ट्रम्प ने पत्रकारों से कहा- हमने इंडोनेशिया के साथ समझौता किया। मैंने उनके बहुत लोकप्रिय और मजबूत राष्ट्रपति से बात की। अब हमें इंडोनेशिया में पूरी पहुंच मिलेगी। हम कोई टैरिफ नहीं देंगे।

उन्होंने आगे कहा- इंडोनेशिया हमें अपने बाजार में एक्सेस दे रहा है, जो पहले कभी नहीं थी। यह समझौते का सबसे बड़ा हिस्सा है। इसके बदले वे 19% टैरिफ देंगे और हम कुछ नहीं देंगे। यह दोनों पक्षों के लिए अच्छा सौदा है।

ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर इस समझौते को "पक्का" बताया।

उन्होंने कहा कि इस समझौते के तहत इंडोनेशिया अमेरिका से 15 अरब डॉलर की एनर्जी, 4.5 अरब डॉलर के कृषि प्रोडक्ट्स और 50 बोइंग जेट विमान खरीदेगा।

ट्रम्प बोले- यह समझौता पक्का है

ट्रम्प ने यह भी बताया कि इंडोनेशिया के पास हाई क्वालिटी वाला कॉपर (तांबा) है, जो अमेरिका के लिए फायदेमंद होगा। हालांकि, मंगलवार दोपहर तक इंडोनेशिया सरकार ने इस बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की थी।

CNN के मुताबिक, पिछले साल इंडोनेशिया ने अमेरिका को 2 करोड़ डॉलर का तांबा एक्सपोर्ट किया था, जबकि चिली ने 60 करोड़ डॉलर और कनाडा ने 40 करोड़ डॉलर का तांबा एक्सपोर्ट किया था।

दो दिन पहले रूस पर 100% टैरिफ की धमकी दी

ट्रम्प ने सोमवार को रूस पर यूक्रेन से जंग खत्म करने का दबाव डालने के लिए भारी टैरिफ लगाने की धमकी दी थी। ट्रम्प ने कहा था- मैं ट्रेड को कई चीजों के लिए इस्तेमाल करता हूं, लेकिन यह युद्ध खत्म करने के लिए बहुत अच्छा है।

ट्रम्प ने कहा था कि अगर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 50 दिन में यूक्रेन के साथ शांति समझौता नहीं किया, तो उस पर 100% टैरिफ लगेगा। ट्रम्प ने बताया कि यह 'सेकेंडरी टैरिफ' होगा, जिसका मतलब रूस से तेल खरीदने वाले देशों, जैसे भारत और चीन, पर भी प्रतिबंध लगेगा।

ट्रम्प बोले- मैं किसी पर पूरी तरह भरोसा नहीं करता

ट्रम्प ने मंगलवार को बीबीसी से बात करते हुए कहा कि वह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से नाखुश हैं, लेकिन उनके साथ रिश्ते पूरी तरह टूटे नहीं हैं। जब उनसे पुतिन पर भरोसे के बारे में सवाल किया गया, तो ट्रम्प ने कहा, "मैं किसी पर भी पूरी तरह भरोसा नहीं करता।"


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NATO की भारत पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी

नाटो ने भारत, चीन और ब्राजील पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी दी है। नाटो महासचिव मार्क रूट ने बुधवार को कहा कि अगर आप चीन के राष्ट्रपति, भारत के प्रधानमंत्री या ब्राजील के राष्ट्रपति हैं, तो आपको यह समझना होगा कि रूस के साथ व्यापार जारी रखने का भारी नुकसान हो सकता है।

रूट ने बुधवार को अमेरिकी सीनेटरों से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि इन तीनों देशों को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर दबाव डालना चाहिए, ताकि वह शांति वार्ता को गंभीरता से लें।

रूट ने तीनों देशों पर सेकेंडरी प्रतिबंध लगाने की भी धमकी दी है। उन्होंने कहा कि अगर ये देश रूस से तेल और गैस खरीदना जारी रखते हैं तो इन देशों पर 100% सेकेंडरी प्रतिबंध लगाए जाएंगे।

रूस बोला- अपनी नीतियां नहीं बदलेंगे

वहीं, रूसी उप विदेश मंत्री सर्गेई रियाबकोव ने अमेरिका और नाटो की धमकियों को खारिज किया। उन्होंने कहा, रूस ट्रम्प के साथ बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन इस तरह के अल्टीमेटम मंजूर नहीं हैं।

रियाबकोव ने कहा कि रूस आर्थिक दबाव के बावजूद अपनी नीतियां नहीं बदलेगा और ऑप्शनल बिजनेस रूट तलाशेगा।

नाटो महासचिव की यह चेतावनी उस समय आई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने यूक्रेन को नए हथियार देने और रूस के व्यापारिक साझीदारों पर भारी टैक्स लगाने की घोषणा की है।

अमेरिका अब यूक्रेन को पैट्रियट मिसाइल जैसे आधुनिक हथियार देने वाला है, ताकि वह रूस के हमलों से बच सके।

सेकेंडरी प्रतिबंध के बारे में जानिए...

सेकेंडरी प्रतिबंध उन देशों या कंपनियों पर लगाए जाते हैं जो सीधे प्रतिबंधित देश पर नहीं, लेकिन उसके साथ व्यापार करने वाले देशों या कंपनियों पर लगाए जाते हैं।

इसे आसान भाषा में ऐसे समझिए कि जैसे अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध लगा रखा है। अगर अब भारत की कोई कंपनी ईरान से तेल खरीदती है, तो अमेरिका कह सकता है कि भारत की कंपनी ने हमारे प्रतिबंधों की अनदेखी की है, ऐसे में हम उन्हें सजा देंगे।

अमेरिका, ईरान से व्यापार करने वाली कंपनी को अमेरिकी बैंकिंग सिस्टम से निकाल सकती है, जुर्माना लगा सकती है या व्यापार पर रोक लगा सकती है।

इसका असर ये होता है कि सेकेंडरी प्रतिबंध के डर के कारण बहुत सी कंपनियां ऐसे देशों से व्यापार करने से बचने लगती हैं।

दो दिन पहले ट्रम्प ने रूस पर 100% टैरिफ की धमकी दी

ट्रम्प ने सोमवार को रूस पर यूक्रेन से जंग खत्म करने का दबाव डालने के लिए भारी टैरिफ लगाने की धमकी दी थी। ट्रम्प ने कहा था- मैं ट्रेड को कई चीजों के लिए इस्तेमाल करता हूं, लेकिन यह युद्ध खत्म करने के लिए बहुत अच्छा है।

ट्रम्प ने कहा था कि अगर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 50 दिन में यूक्रेन के साथ शांति समझौता नहीं किया, तो उस पर 100% टैरिफ लगेगा। ट्रम्प ने बताया कि यह 'सेकेंडरी टैरिफ' होगा, जिसका मतलब रूस से तेल खरीदने वाले देशों, जैसे भारत और चीन, पर भी प्रतिबंध लगेगा।

सेकेंडरी प्रतिबंध का भारत पर क्या असर होगा?

भारत रूस से कच्चे तेल का एक बड़ा खरीदार है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदकर अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया है। अगर सेकेंडरी प्रतिबंध लागू होते हैं, तो भारत पर इसके बुरे प्रभाव पड़ सकते हैं।

तेल आपूर्ति में रुकावट: भारत रूस से अपनी कुल तेल आयात का एक बड़ा हिस्सा खरीदता है। प्रतिबंधों के कारण रूसी तेल की आपूर्ति रुक सकती है। इससे भारत को वैकल्पिक स्रोतों (जैसे सऊदी अरब, इराक) से महंगा तेल खरीदना पड़ सकता है, जिससे तेल की कीमतें बढ़ेंगी।

आर्थिक नुकसान: अगर भारत रूस से तेल खरीदना बंद करता है, तो ईंधन की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिसका असर आम जनता पर पड़ेगा। अगर भारत रूस के साथ व्यापार जारी रखता है, तो अमेरिका भारतीय कंपनियों या बैंकों पर प्रतिबंध लगा सकता है, जिससे भारत का निर्यात और वित्तीय लेनदेन प्रभावित होगा।

ऊर्जा संकट: रूस से तेल आयात बंद होने पर भारत की ऊर्जा सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। वैश्विक तेल बाजार पहले से ही अस्थिर है, और नए प्रतिबंध इस स्थिति को और बिगाड़ सकते हैं। भारत को तेल की कमी से बचने के लिए आपातकालीन योजनाएं बनानी पड़ सकती हैं।

अंतरराष्ट्रीय दबाव: भारत को अमेरिका और नाटो के दबाव का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उसकी विदेश नीति पर असर पड़ेगा। भारत को रूस और पश्चिमी देशों के बीच संतुलन बनाना मुश्किल हो सकता है।


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विदेश मंत्री जयशंकर की चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात, बिगड़े रिश्ते सुधारने की राह में ये मुद्दे बन रहे रोड़े

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात की। यह मुलाकात 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद दोनों नेताओं की पहली भेंट थी। दोनों देश अब पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद के बाद सर्द पड़े रिश्तों को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश में हैं।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस मुलाकात को भारत-चीन रिश्तों के लिए अहम बताया है। वह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए बीजिंग पहुंचे हैं।

जयशंकर ने ट्वीट कर कहा, "आज सुबह बीजिंग में राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शुभकामनाएं दीं। मैंने उन्हें हमारे द्विपक्षीय रिश्तों में हाल की प्रगति के बारे में बताया। इस दिशा में हमारे नेताओं के मार्गदर्शन को मैं बहुत महत्व देता हूं।"

यह मुलाकात इसलिए भी खास है क्योंकि अक्टूबर 2024 में दोनों देशों ने डेमचोक और देपसांग जैसे आखिरी दो विवादित बिंदुओं पर सैन्य वापसी का समझौता किया था।

दोनों देशों के बीच रिश्ते को फिर से सुधारने की कवायद

इस समझौते के बाद भारत और चीन ने आपसी बातचीत के रास्ते फिर से खोलने का फैसला किया है। दोनों देशों के बीच गलवान संघर्ष के बाद बातचीत ठप पड़ गया था। जयशंकर ने सोमवार को अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात में भी इस मुद्दे को उठाया था। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को अब वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव कम करने की दिशा में और कदम उठाने चाहिए।

जयशंकर ने कहा, "पिछले नौ महीनों में हमने अपने रिश्तों को सामान्य करने की दिशा में अच्छी प्रगति की है। अब हमें सीमा से जुड़े अन्य पहलुओं, खासकर तनाव कम करने पर ध्यान देना होगा।" उन्होंने चीन से यह भी अपील की कि वह व्यापार में रुकावटें न डाले और महत्वपूर्ण खनिजों पर निर्यात प्रतिबंधों से बचे।

चीन के साथ रिश्तों की नई इबारत लिखेगा भारत?

जयशंकर ने यह भी कहा कि मतभेदों को विवाद का रूप नहीं लेने देना चाहिए और न ही प्रतिस्पर्धा को टकराव में बदलने देना चाहिए। उनकी यह यात्रा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के जून में किंगदाओ दौरे के बाद हो रही है। ये मुलाकातें इस बात का संकेत हैं कि दोनों देश रिश्तों को बेहतर बनाने की कोशिश में हैं।

इन कोशिशों का मकसद यह भी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल के अंत में एससीओ नेताओं के शिखर सम्मेलन के लिए चीन का दौरा कर सकें।

लेकिन रिश्तों को पूरी तरह सामान्य करने में अभी कुछ रुकावटें हैं। दलाई लामा के उत्तराधिकार का मुद्दा और हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन का पाकिस्तान को समर्थन, दोनों देशों के बीच तनाव के बड़े कारण बने हुए हैं।


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