भाषा विवाद के बीच कमल हासन ने तमिल में ली राज्यसभा सांसद की शपथ, तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजा सदन

एक्टर और मक्कल निधि मय्यम (MNM) प्रमुख कमल हासन ने आज (25 जुलाई)  राज्यसभा के सदस्य के रूप में शपथ ली। उन्होंने तमिल भाषा में शपथ पत्र पढ़ा।

69 वर्षीय अभिनेता से राजनेता बने हासन ने संसद भवन के बाहर संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "मैं बहुत गौरवान्वित और सम्मानित महसूस कर रहा हूं।"

कमल हासन ने किया DMK का समर्थन

बता दें कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव में कमल हासन की पार्टी ने डीएमके का समर्थन किया था। इसी समर्थन के बदले अब कमल हासन को डीएमके की तरफ से राज्यसभा सीट दी गई है।  

आधिकारिक तौर पर कमल हासन की पार्टी और डीएमके के बीच गठबंधन हुआ है। उम्मीद जताई जा रही है कि साल 2026 में तमिलनाडु में होने वाले विधानसभा चुनाव में डीएमके और एमएनएम साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे।  

हासन ने 6 जून को तमिलनाडु सचिवालय में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था, उनके साथ मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन , उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन और वीसीके के थोल थिरुमावलवन, एमडीएमके के वाइको और तमिलनाडु कांग्रेस प्रमुख सेल्वापेरुंथगई सहित गठबंधन सहयोगियों के वरिष्ठ नेता मौजूद थे।

मैं राजनीति में कॉमन मैन की तरह आया हूं: कमल हासन 

मक्कल निधि मय्यम पार्टी के संस्थापक कमल हासन ने एक मीडिया इंटरव्यू में कहा था कि उनकी पार्टी न तो राइट विंग की विचारधार की समर्थक है, न ही लेफ्ट की। तमिल में मय्यम का मतलब 'केंद्र' होता है।

उन्होंने कहा था उनकी राजनीति में आने का मतलब लोगों की सेवा करना है। वो राजनीति में किसी स्टार की तरह नहीं बल्कि कॉमन मैन की तरह आए हैं। कमल हासन ने खुद की पार्टी को तमिलनाडु में तीसरे विकल्प के रूप में बताया है।


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नए उपराष्ट्रपति के लिए थावरचंद गहलोत, ओम माथुर का नाम

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफा देने के 3 दिनों के भीतर निर्वाचन आयोग ने इस पद के लिए चुनाव प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है। चुनाव की तारीखें जल्द घोषित की जाएंगी।

इस बीच, भाजपा इस पद के लिए अपनी विचारधारा के प्रति समर्पित कार्यकर्ता को उम्मीदवार बना सकती है। फिलहाल जिन नामों पर पार्टी में विचार चल रहा है, उनमें कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। अन्य नाम सिक्किम के राज्यपाल ओम माथुर का भी है।

आयोग ने इस पद के लिए निर्वाचक मंडल, रिटर्निंग ऑफिसर और अन्य जरूरी चीजों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। आयोग की तैयारियों के बीच भाजपा की कोशिश होगी कि इस पद का उम्मीदवार किसी अन्य सहयोगी को बनाने की जगह अपने उम्मीदवार का नाम तय कर उसके नाम पर सहयोगी दलों को राजी करे।

दरअसल, जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई की रात अचानक देश के 14वें उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे दिया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को धनखड़ का इस्तीफा मंजूर कर लिया था। 74 साल के धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था।

गहलोत जातीय समीकरण में भी फिट

थावरचंद गहलोत अभी कर्नाटक के राज्यपाल हैं। 77 वर्षीय गहलोत राज्यसभा में सदन के नेता रह चुके हैं साथ ही केंद्रीय मंत्री का पद भी संभाल चुके हैं। भाजपा में वे सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई पार्लियामेंट्री बोर्ड के सदस्य भी रहे हैं। जातीय समीकरण (दलित) में भी वे फिट बैठते हैं। वह मध्य प्रदेश से हैं। उनके पास प्रशासनिक अनुभव भी है।

माथुर मोदी-शाह के करीबी

ओम माथुर अभी सिक्किम के राज्यपाल हैं। 73 वर्षीय माथुर पार्टी के कद्दावर नेता हैं और राजस्थान से आते हैं। वे गुजरात के चुनाव प्रभारी तब रहे हैं, जब पीएम मोदी वहां के मुख्यमंत्री थे। वे मोदी के साथ ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भी करीबी माने जाते हैं। माथुर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में प्रचारक रह चुके हैं।

भाजपा के नाम पर सहमति नहीं तो उप सभापति हरिवंश का नाम

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि निर्वाचन आयोग की तरफ से उपराष्ट्रपति पद के चुनाव की तारीख घोषित होते ही इस पद के लिए एनडीए प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर दी जाएगी। यदि भाजपा के किसी प्रत्याशी के नाम पर एनडीए में सहमति बनाने में समस्या आई तो मौजूदा उप सभापति हरिवंश भी इस पद के उम्मीदवार बनाए जा सकते हैं।

विपक्ष उतारेगा मजबूत प्रत्याशी

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है, प्रत्याशी का चयन ठोक बजाकर ही किया जाएगा, क्योंकि विपक्ष से भी कोई मजबूत प्रत्याशी उतारे जाने की पूरी संभावना है। ऐसे में NDA इस पद के लिए प्रत्याशियों के कद, अनुभव व जातीय समीकरण को प्राथमिकता देगी।

6 स्टेप में चुन जाते हैं उपराष्ट्रपति...

स्टेप-1 : निर्वाचक मंडल का गठन करना

उपराष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल करता है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के सभी निर्वाचित और नामित सदस्य शामिल होते हैं।

स्टेप-2: चुनाव की अधिसूचना जारी होना

निर्वाचन आयोग द्वारा अधिसूचना में नामांकन, मतदान और परिणाम की तारीखें होती हैं।

स्टेप-3: नामांकन प्रक्रिया

उम्मीदवार को कम से कम 20 सांसदों द्वारा प्रस्तावक और 20 सांसदों द्वारा समर्थक के रूप में हस्ताक्षर के साथ नामांकन पत्र दाखिल करना होता है।

स्टेप-4 : सांसदों के बीच प्रचार होता है

केवल सांसद मतदाता होते हैं। इसलिए यह प्रचार सीमित दायरे में होता है। उम्मीदवार और उनके समर्थक दल प्रचार में शामिल होते हैं।

स्टेप-5: मतदान की प्रक्रिया शुरू होगी

हर सांसद मतपत्र पर प्रत्याशियों को प्राथमिकता के क्रम में (1, 2, 3...) अंकित करता है।

स्टेप-6: मतों की गिनती और परिणाम

जीत के लिए कुल वैध मतों का साधारण बहुमत (50% से अधिक) प्राप्त करना होता है। रिटर्निंग ऑफिसर नतीजे की घोषणा करते हैं।


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देश को जल्द मिलेंगे नए उपराष्ट्रपति, जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद चुनाव आयोग ने शुरू की प्रक्रिया

पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति पद की चुनावी प्रक्रिया शुरू कर दी है। उन्होंने स्वास्थ्य संबंधी कारणों से सोमवार की देर रात इस्तीफा दे दिया था।

उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य मिलकर करते हैं। सत्ताधारी दल NDA के पास उपराष्ट्रपति चुनने के लिए पर्याप्त सांसद मौजूद हैं। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि देश को जल्द ही नए उपराष्ट्रपति मिल सकते हैं।

संसद में 6 सीटें खाली

बता दें कि वर्तमान में लोकसभा की 543 सीटों में से एक सीट और राज्यसभा की 245 सीटों में से 5 सीटें खाली हैं। पश्चिम बंगाल की बशीरहाट सीट से कोई लोकसभा सांसद नहीं है। वहीं, राज्यसभा में जम्मू कश्मीर की 4 और पंजाब की 1 सीट खाली है।

कैसे बनते हैं उपराष्ट्रपति?

दोनों सदनों में सांसदों की कुल संख्या 786 है और उपराष्ट्रपति का चुनाव जीतने वाले उम्मीदवार को महज 394 मतों की आवश्यकता है यानी 394 का बहुमत हासिल करके उपराष्ट्रपति बना जा सकता है। इस चुनाव में राज्यों की विधानसभा या विधान परिषद की कोई भूमिका नहीं होती है।

NDA के पास बहुमत से ज्यादा सांसद

सत्ताधारी दल NDA की बात करें तो, लोकसभा में इनके 293 और राज्यसभा में 129 सांसद मौजूद हैं। साफ है कि NDA के पास 422 सांसद हैं और उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को जीताने के लिए 394 का बहुमत चाहिए, जो सत्ताधारी दल के सांसदों की वोटिंग से ही आराम से पूरा हो जाएगा।


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संसद मानसून सत्र का दूसरा दिन,बिहार वोटर लिस्ट मुद्दे पर विपक्षी सांसदों का संसद में प्रदर्शन

संसद के मानसून सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को विपक्ष ने लोकसभा-राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा किया। विपक्षी सांसदों की मांग है कि पहलगाम हमला, ऑपरेशन सिंदूर जैसे मुद्दों पर सदन में चर्चा हो। PM इन पर जवाब दें। लोकसभा- राज्यसभा 2 बजे तक स्थगित है।

वहीं, बिहार वोटर लिस्ट की विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के मुद्दे पर विपक्षी सांसदों ने मकर द्वार के बाहर नारेबाजी की। प्रदर्शन में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव समेत कई सांसद शामिल हुए।

दूसरे दिन की कार्यवाही से पहले संसद भवन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर की बैठक हुई। इसमें केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा समेत अन्य मंत्री भी शामिल हुए। वहीं, I.N.D.I.A. गठबंधन के नेताओं ने भी मीटिंग की।


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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दिया

देश के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई की रात अपने पद इस्तीफा दिया। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों को इसकी वजह बताया। 74 साल के धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक का था। उन्होंने 10 जुलाई को एक कार्यक्रम में कहा था, 'ईश्वर की कृपा रही तो अगस्त, 2027 में रिटायर हो जाऊंगा।'

धनखड़ ने अनुच्छेद 67(ए) के तहत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को त्यागपत्र सौंपा। लिखा- स्वास्थ्य की प्राथमिकता और डॉक्टरी सलाह का पालन करते हुए मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से त्यागपत्र दे रहा हूं।

उन्होंने पत्र में राष्ट्रपति को उनके सहयोग और सौहार्दपूर्ण संबंधों के लिए धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल को भी सहयोग के लिए आभार जताया। हालांकि, राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही उनका इस्तीफा प्रभावी होगा।

11 अगस्त 2022 को धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। उपराष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराया था। धनखड़ को कुल 725 में से 528 वोट मिले थे, जबकि अल्वा को 182 वोट मिले थे।

इस समय संसद का मानसून सत्र चल रहा है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं। सत्र के बीच में पद से इस्तीफा देने वाले धनखड़ देश के पहले उपराष्ट्रपति हैं। साथ ही कार्यकाल के बीच में इस्तीफा देने वाले तीसरे उपराष्ट्रपति भी हैं।

पढ़िए त्याग पत्र में धनखड़ ने क्या लिखा

माननीय राष्ट्रपति जी .. सेहत को प्राथमिकता देने और डॉक्टर की सलाह को मानने के लिए मैं संविधान के अनुच्छेद 67(a) के अनुसार अपने पद से इस्तीफा देता हूं। मैं भारत के राष्ट्रपति में गहरी कृतज्ञता प्रकट करता हूं। आपका समर्थन अडिग रहा, जिनके साथ मेरा कार्यकाल शांतिपूर्ण और बेहतरीन रहा। मैं माननीय प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के प्रति भी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं। प्रधानमंत्री का सहयोग और समर्थन अमूल्य रहा है और मैंने अपने कार्यकाल के दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा है। माननीय सांसदों से मुझे जो स्नेह, विश्वास और अपनापन मिला है, वह मेरी स्मृति में हमेशा रहेगा। मैं इस बात के लिए आभारी हूं कि मुझे इस महान लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति के रूप में जो अनुभव और ज्ञान मिला, वह अत्यंत मूल्यवान रहा। यह मेरे लिए सौभाग्य और संतोष की बात रही है कि मैंने भारत की अभूतपूर्व आर्थिक प्रगति और इस परिवर्तनकारी युग में उसके तेज विकास को देखा और उसमें भागीदारी की। हमारे राष्ट्र के इतिहास के इस महत्वपूर्ण दौर में सेवा करना मेरे लिए सच्चे सम्मान की बात रही। आज जब मैं इस सम्माननीय पद को छोड़ रहा हूं, मेरे दिल में भारत की उपलब्धियों और शानदार भविष्य के लिए गर्व और अटूट विश्वास है। गहरी श्रद्धा और आभार के साथ, जगदीप धनखड़

अगले उपराष्ट्रपति के लिए बिहार से JDU सांसद हरिवंश दौड़ में शामिल

धनखड़ के इस्तीफे के बाद उनके उत्तराधिकारी की अटकलें भी शुरू हाे गई हैं। ऐसे में बिहार से JDU सांसद हरिवंश भी संभावित उम्मीदवारों में देखे जा रहे हैं। वे 2020 से राज्यसभा के उपसभापति पद पर आसीन हैं। हालांकि, उनका कार्यकाल भी इसी महीने खत्म हो रहा है।

उपराष्ट्रपति का इस्तीफा स्वीकार हुआ तो नया उपराष्ट्रपति चुने जाने तक राज्यसभा के उपसभापति ही सभापति (अनुच्छेद 91 के तहत) होंगे, लेकिन उन्हें उपराष्ट्रपति का पदभार नहीं मिलेगा। क्योंकि संविधान में कार्यवाहक उपराष्ट्रपति का प्रावधान नहीं है।

राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उनका पदभार उपराष्ट्रपति को मिलता है। यदि उपराष्ट्रपति का पद खाली है और राष्ट्रपति भी अनुपस्थित हैं यानी देश से बाहर हैं तो ऐसे में राष्ट्रपति का पदभार CJI को दिया जाता है। पद खाली होने पर उपराष्ट्रपति कितने दिन में चुना जाए, इसकी समय-सीमा तय नहीं।

पिछले महीने कार्यक्रम के बाद धनखड़ के सीने में दर्द उठा था

25 जून को उत्तराखंड में एक कार्यक्रम के बाद जगदीप धनखड़ की अचानक तबीयत बिगड़ गई थी। उन्हें तुरंत नैनीताल राजभवन ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने उनका चेकअप किया। धनखड़ नैनीताल में कुमाऊं यूनिवर्सिटी के गोल्डन जुबली समारोह में बतौर चीफ गेस्ट पहुंचे थे।

कार्यक्रम खत्म होने के बाद धनखड़ पूर्व सांसद महेंद्र सिंह पाल के कंधे पर हाथ रखकर बाहर निकले। फिर महेंद्र पाल से गले लगकर रोने लगे। करीब 10 कदम चलने पर धनखड़ के सीने में अचानक दर्द उठा। पूर्व सांसद महेंद्र पाल और सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें संभाला था।

इससे पहले जगदीप धनखड़ को 9 मार्च 2025 को अचानक सीने में दर्द की शिकायत पर AIIMS दिल्ली में भर्ती कराया गया था। 12 मार्च 2025 को उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया था।

जयराम बोले- PM जगदीप धनखड़ से मन बदलने को कहें

जगदीश धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा देने पर विपक्ष सवाल कर रहा है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने X पोस्ट में कहा- इस अप्रत्याशित इस्तीफे में जो दिख रहा है, उससे कहीं ज्यादा है। PM मोदी धनखड़ को मन बदलने के लिए मनाएं। यह राष्ट्रहित में होगा। खासतौर पर कृषक समुदाय को बहुत राहत मिलेगी।

शिवसेना (UBT) नेता आनंद दुबे ने कहा- स्वास्थ्य कारणों से उपराष्ट्रपति के इस्तीफे की खबर चिंताजनक है। हम उनकी कुशलता की कामना करते हैं। मानसून सत्र का पहला दिन था और उसी दिन उनका इस्तीफा हैरान करने वाला है। इस सरकार में क्या चल रहा है? स्वास्थ्य चिंता का विषय होता तो इस्तीफा सत्र से कुछ दिन पहले या बाद में भी दिया जा सकता था।


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PM मोदी दो दिन के अर्जेंटीना दौरे पर पहुंचे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को दो दिन के दौरे पर अर्जेंटीना पहुंच गए। यहां होटल पहुंचने पर भारतीय समुदाय के लोगों ने उनका स्वागत किया।

PM बनने के बाद मोदी का यह दूसरा अर्जेंटीना दौरा है। इससे पहले वे 2018 में G20 समिट में हिस्सा लेने अर्जेंटीना गए थे।

PM मोदी और अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर जेवियर मिलई के बीच आज द्विपक्षीय बातचीत होगी। इसके अलावा वो भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करेंगे।

मोदी की यात्रा के दौरान भारत-अर्जेंटीना के बीच डिफेंस, एग्रीकल्चर, एनर्जी, परमाणु सहयोग, व्यापार और निवेश पर चर्चा हो सकती है। दोनों देशों में लिथियम सप्लाई पर भी समझौता संभव है।

अर्जेंटीना के पास दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा लिथियम भंडार है। मोदी 2 जुलाई से 10 जुलाई तक, 5 देशों की यात्रा पर हैं। वे घाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो के बाद अर्जेंटीना पहुंचेंगे। इसके बाद उनका अगला पड़ाव ब्राजील है।

अर्जेंटीना में मोदी के दौरे का शेड्यूल

5 जुलाई:

अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर मिलई से मुलाकात करेंगे।

भारत-अर्जेंटीना बिजनेस समिट 2025 में हिस्सा लेंगे।

महत्वपूर्ण समझौतों (MoUs) पर हस्ताक्षर करेंगे।

भारतीय मूल के लोगों के साथ एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल होंगे

6 जुलाई :

अर्जेंटीना के विदेश मंत्री, व्यापार मंत्री, और ऊर्जा मंत्री के साथ बैठक करेंगे।

लिथियम और लिक्विड नेचुरल गैस (LNG) की सप्लाई जैसे मुद्दों पर समझौता कर सकते हैं।

ब्राजील के लिए रवाना होंगे, जहां वह ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।

अर्जेंटीना में लगभग 3 हजार भारतीय प्रवासी

अर्जेंटीना में लगभग 3 हजार भारतीय प्रवासी रहते हैं। दोनों देश डिफेंस सेक्टर में सहयोग बढ़ाने पर काम कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच फरवरी, 2025 में मिलिट्री ज्वाइंट एक्सरसाइज और इक्विपमेंट पर चर्चा हुई थी।

भारत और अर्जेंटीना G20, G77 और यूनाइटेड नेशन के सदस्य हैं। 2023 में G20 समिट की मेजबानी को लेकर अर्जेंटीना ने भारत की सराहना की थी और अफ्रीकन यूनियन (AU) को G20 में सदस्यता देने का समर्थन किया था।

भारत-अर्जेंटीना के बीच ₹53 हजार करोड़ का बिजनेस

भारत, अर्जेंटीना का चौथा सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर है। दोनों देशों के बीच, 2019 और 2022 के बीच द्विपक्षीय व्यापार दोगुना से भी ज्यादा बढ़कर 6.4 बिलियन अमरीकी डॉलर (53 हजार करोड़ रुपए) पहुंच गया है।

भारत अर्जेंटीना को पेट्रोलियम तेल, कृषि रसायन और दोपहिया वाहन एक्सपोर्ट करता है, जबकि भारत, अर्जेंटीना से वनस्पति तेल (जैसे सोयाबीन और सूरजमुखी), लेदर और अनाज इंपोर्ट करता है।

दोनों देश शांतिपूर्ण न्यूक्लियर प्रोग्राम और एनर्जी में सहयोग पर भी जोर देते हैं। अर्जेंटीना, भारत की न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) सदस्यता का समर्थन करता है। भारत ने NSG सदस्यता के लिए 2016 में आवेदन किया था।

भारत-अर्जेंटीना के बीच लीथियम को लेकर दो बड़े समझौते हुए

15 जनवरी, 2024 में भारत ने अर्जेंटीना के साथ लिथियम माइनिंग खनन के लिए एक समझौता किया था।

200 करोड़ रुपए की लागत वाले इस समझौते के तहत, भारत की सरकारी कंपनी खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL) को अर्जेंटीना में पांच लिथियम ब्राइन ब्लॉक आवंटित किए जाएंगे।

दोनों देशों ने लिथियम खोजने और खनन में सहयोग बढ़ाने के लिए 19 फरवरी, 2025 को एक समझौता (MoU) किया है। भारत अभी तक लिथियम के लिए चीन पर निर्भर है। यह समझौता चीन पर निर्भरता कम करने के लिए किया गया था।

अर्जेंटीना 100 सालों में 9 बार दिवालिया हुआ

अर्जेंटीना 20वीं सदी की शुरुआत में दुनिया की 10 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक था। यह कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से भी आगे था। इसके बावजूद, 1816 में स्पेन से आजादी के बाद से अर्जेंटीना 9 बार अपने कर्ज चुकाने में नाकाम रहा है।

1930 से 1970 तक सरकार ने आयात पर निर्भरता कम करने, आत्मनिर्भरता को बढ़ाने और देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए इम्पोर्ट पर टैरिफ को बढ़ा दिया।

इसका सबसे बुरा असर खेती पर पड़ा। इम्पोर्ट कम होने से देश में अनाज की कमी हो गई, जिससे 1940-50 के दशक में भुखमरी के हालात बन गए।

1980 के दशक में तानाशाही के दौरान सरकारी खर्च और विदेशी कर्ज 75% तक बढ़ा। जरूरत की चीजों की कीमतें 5000% तक पहुंच गई। ब्रेड, दूध, और चावल, इस भयंकर मंहगाई से सबसे अधिक प्रभावित हुए।

वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, अर्जेंटीना लैटिन अमेरिका की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसकी जीडीपी 474.8 बिलियन डॉलर (लगभग 40 लाख करोड़ रुपए) और प्रति व्यक्ति जीडीपी 12 हजार डॉलर (10 लाख रुपए) है। इसके बावजूद, ये देश आर्थिक अस्थिरता से जूझ रहा है।






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घाना की संसद को पीएम मोदी ने किया संबोधित, बोले- दोनों देशों के बीच मजबूत संबंध

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को घाना पहुंचे। यहां पहुंचते ही उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। पिछले 30 सालों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली घाना यात्रा है। पीएम मोदी ने घाना की संसद को भी संबोधित किया।

पीएम ने कहा कि मैं बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है। लोकतंत्र हमारे लिए सिस्टम नहीं, संस्कार है। पीएम ने देशवासियों की तरफ से आभार जताते हुए कहा कि कल शाम का अनुभव बहुत ही मार्मिक था, मेरे प्रिय मित्र राष्ट्रपति जॉन महामा से राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करना सम्मान की बात है। भारत के 140 करोड़ लोगों की ओर से मैं इस सम्मान के लिए घाना के लोगों को धन्यवाद देता हूं।

पीएम बोले- सम्मानित महसूस कर रहा

पीएम मोदी ने कहा, 'दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रतिनिधि के रूप में मैं अपने साथ 140 करोड़ भारतीयों की सद्भावना और शुभकामनाएं लेकर आया हूं। घाना को सोने की भूमि के रूप में जाना जाता है, न केवल आपकी धरती के नीचे छिपी हुई चीजों के लिए बल्कि आपके दिल में मौजूद गर्मजोशी और ताकत के लिए भी।'

उन्होंने कहा कि 'मैं घाना गणराज्य की संसद को संबोधित करके बहुत ही सम्मानित महसूस कर रहा हूं। घाना में होना सौभाग्य की बात है, यह एक ऐसी भूमि है जो लोकतंत्र की भावना को प्रसारित करती है।'


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केजरीवाल का गुजरात में ऐलान-बिहार में अकेले चुनाव लड़ेगी AAP

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ती जा रही है। राजनीतिक दल अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में व्यस्त हैं. इसी बीच, आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है. उन्होंने स्पष्ट किया कि AAP बिहार विधानसभा चुनाव में अकेले उतरेगी और कांग्रेस या INDIA गठबंधन के साथ कोई गठबंधन नहीं करेगी. यह घोषणा केजरीवाल ने गुजरात दौरे के दौरान दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में की.

केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “AAP बिहार चुनाव अकेले लड़ेगी. INDIA गठबंधन केवल लोकसभा चुनाव 2024 के लिए था. अब कांग्रेस के साथ हमारा कोई गठबंधन नहीं है.” उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, “अगर गठबंधन था, तो कांग्रेस ने गुजरात के विसावदर उपचुनाव में हिस्सा क्यों लिया? वे हमें हराने और वोट काटने आए थे. बीजेपी ने कांग्रेस को हमारे खिलाफ भेजा था.” केजरीवाल का यह बयान बिहार में विपक्षी एकता को झटका दे सकता है, क्योंकि INDIA गठबंधन में शामिल दलों के बीच पहले से ही तनाव की खबरें आ रही हैं.

243 सीटों पर चुनाव की तैयारी कर रही AAP

AAP ने बिहार में अपनी संगठनात्मक तैयारियां तेज कर दी हैं. पार्टी के बिहार प्रभारी और दिल्ली के विधायक अजेश यादव ने हाल ही में बिहार इकाई के साथ बैठक की, जिसमें हर गांव तक संगठन को मजबूत करने पर जोर दिया गया. AAP के बिहार प्रदेश उपाध्यक्ष मनोज कुमार ने X पर पोस्ट करते हुए कहा, “बिहार की जनता के लिए AAP सर्वश्रेष्ठ विकल्प है. हम सभी 243 सीटों पर पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ेंगे और बिहार को केजरीवाल मॉडल की सरकार चुनने का मौका देंगे.”

क्या बिहार में कांग्रेस के वोट बैंक पर डाका डालेगी AAP?

बिहार में 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर महज 7 प्रतिशत था और वह महागठबंधन के साथ 70 सीटों पर लड़ी थी, जिसमें से केवल 19 सीटें जीती थीं. हाल के उपचुनावों में भी कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है. पोल ट्रैकर के सर्वे के मुताबिक, 2025 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को 44.2 प्रतिशत वोट और 126 सीटें मिलने का अनुमान है, लेकिन इसमें कांग्रेस का योगदान सीमित रह सकता है. दूसरी ओर, AAP बिहार में भ्रष्टाचार, मुफ्त बिजली, और शिक्षा जैसे मुद्दों को उठाकर शहरी और युवा वोटरों को लुभाने की कोशिश कर रही है.

जल्द बिहार के दौरा कर सकते हैं अरविंद केजरीवाल 

पार्टी सूत्रों के अनुसार AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल जल्द ही बिहार का दौरा करने वाले हैं. पार्टी व्हाट्सएप ग्रुप्स, इंस्टाग्राम लाइव, और स्थानीय कैंपेनिंग के जरिए युवा और महिला वोटरों तक पहुंच रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि बिहार में कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक, खासकर शहरी और मध्यम वर्ग, अब AAP की ओर खिसक सकता है, क्योंकि कांग्रेस की आंतरिक लड़ाई कई बार पब्लिक डोमेन में देखने को मिली है. AAP ने स्पष्ट किया है कि वह बिहार में किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी, जिससे RJD और JDU-BJP के वोट बैंक में सेंध लगने की संभावना है.


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भारत को झटका दे सकता है रूस के खिलाफ लाया गया अमेरिकी बिल

अमेरिका में एक बिल पेश किया गया है, जिसमें कहा गया है कि रूस से तेल या गैस खरीदने वाले देशों पर 500% तक का शुल्क लगाने का प्रस्ताव है। इस पर भारत की तरफ से पहले ही अमेरिकी नेताओं से बातचीत की जा चुकी है। इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस बिल को लेकर बड़ा बयान दिया है।

भारतीय विदेश मंत्री ने अमेरिका के विवादित रूस संबंधी बिल को लेकर साफ कहा है कि अगर यह भारत के हितों को प्रभावित करता है, तो उस स्थिति में निपटा जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत इस बिल को लेकर पूरी तरह से सतर्क हे।

जयशंकर का बयान

जयशंकर ने कहा, "जो भी चीज हमारे हितों को प्रभावित कर सकती है, वो हमारे लिए मायने रखती है।" उन्होंने बताया कि भारतीय दूतावास और अमेरिका में भारत के राजदूत लगातार अमेरिकी सांसद लिंडसे ग्राहम के संपर्क में हैं। भारत की ऊर्जा और रणनीतिक जरूरतों को अमेरिकी पक्ष के सामने रखा गया है।

जयशंकर ने कहा, हमने अपनी ऊर्जा, "सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं को उनके साथ साझा किया है। अगर ऐसी कोई स्थिति आती है, तो हम उसका सामना करेंगे।"

अमेरिका का बिल

अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम द्वारा लाए गए इस प्रस्तावित बिल में कहा गया है कि रूस से तेल, गैस, यूरेनियम या अन्य वस्तुएं खरीदने वाले किसी भी देश से अमेरिका 500 प्रतिशत का टैरिफ वसूलेगा।

यह बिल अमेरिकी संसद में काफी मजबूत स्थिति में है और इसे 80 सीनेटरों का समर्थन प्राप्त है। इस स्थिति में यह बिल राष्ट्रपति की वीटो शक्ति को भी पार कर सकता है।


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SCO में PAK रक्षा मंत्री से नहीं मिले राजनाथ

चीन के किंगदाओ में हुई शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत ने जॉइंट स्टेट पर साइन करने से इनकार कर दिया है। गुरुवार को हुई इस बैठक भारत की तरफ से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हिस्सा लिया था।

जॉइंट स्टेटमेंट में पहलगाम में हुए आतंकी हमले को शामिल नहीं किया गया था, जबकि बलूचिस्तान में हुई घटना इसमें शामिल थी। भारत ने इससे नाराजगी जाहिर करते हुए स्टेटमेंट पर साइन नहीं किए।

बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, पहलगाम आतंकी हमले का पैटर्न भारत में लश्कर-ए-तैयबा के पिछले आतंकी हमलों जैसा था। सीमा पार से होने वाले आतंकी हमलों को रोकने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए भारत ने 7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया।

कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीति मानते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं। फिर इसे इनकार करते हैं। ऐसे डबल स्टैंडर्ड के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। उन्हें समझना होगा कि अब आतंकवाद के एपिसेंटर सेफ नहीं हैं।

राजनाथ ने कहा, SCO को ऐसे देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए।

इस बैठक में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ भी मौजूद थे। दूसरी तरफ राजनाथ सिंह ने बैठक में पाकिस्तान के रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ से भी मुलाकात नहीं की है।

SCO में राजनाथ का संबोधन, 4 पॉइंट

1. उग्रवाद और आतंकवाद सबसे बड़ी चुनौती

राजनाथ ने आगे कहा, मेरा मानना है कि सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से संबंधित हैं। इन समस्याओं की असल वजह कट्टरपंथ, उग्रवाद और आतंकवाद में बढ़ोत्तरी है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता है और हमें अपनी सामूहिक सुरक्षा और संरक्षा के लिए इन बुराइयों के खिलाफ अपनी लड़ाई में एकजुट होना चाहिए।

2. आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस

राजनाथ ने कहा भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति आज हमारे एक्शन में भी नजर आती है। इसमें आतंकवाद के खिलाफ स्वयं की रक्षा करने का हमारा अधिकार भी शामिल है। हमने दिखाया है कि आतंकवाद के केंद्र अब सुरक्षित नहीं हैं और हम उन्हें निशाना बनाने में संकोच नहीं करेंगे।

3. देशों के बीच संघर्ष रोकने के लिए संवाद की जरूरत

भारत का मानना है कि संवाद के बिना देशों के बीच संघर्ष को नहीं रोका जा सकता। इसके लिए सभी को साथ आना होगा। कोई भी देश, चाहे वह कितना भी बड़ा और शक्तिशाली क्यों न हो, अकेले काम नहीं कर सकता। साथ मिलकर काम करने की हमारी पुरानी पंरपरा रही है। यह हमारी सदियों पुरानी संस्कृत कहावत 'सर्वे जन सुखिनो भवन्तु' को भी दर्शाता है, जिसका अर्थ है सभी के लिए शांति और समृद्धि।"

4. ग्लोबल चैलेंज में सभी एक साथ आएं

कोरोना वायरस से यह साबित हो गया कि महामारियों की कोई सीमा नहीं होती। जब तक सभी सुरक्षित नहीं हो जाते, तब तक कोई भी सेफ नहीं है। यह इस बात का संकेत है कि कैसे महामारी, जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियां हमारे जन-जीवन का प्रभावित कर सकती हैं। इनसे निपटने के लिए सभी देशों को एकजुट होना पड़ता है।

SCO क्या है

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एक क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसकी स्थापना 2001 में चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने मिलकर की थी। बाद में भारत और पाकिस्तान 2017 में इसके सदस्य बने और 2023 में ईरान भी सदस्य बन गया।

SCO का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच सुरक्षा, आर्थिक और राजनीतिक सहयोग को बढ़ाना है। संगठन आतंकवाद, उग्रवाद, ड्रग तस्करी और साइबर अपराध जैसे मुद्दों पर साझा रणनीति बनाता है।



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