बिहार के बाद अब पूरे देश में SIR कराने जा रहा चुनाव आयोग

चुनाव आयोग ने बिहार के बाद अब पूरे देश की वोटर लिस्ट का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) कराने की बात सामने रखी है।

मतदाता सूचियों के SIR पर अपने 24 जून के आदेश में चुनाव आयोग ने कहा, "आयोग ने वोटर लिस्ट की अखंडता की रक्षा के लिए अपने संवैधानिक जनादेश के लिए अब पूरे देश में विशेष गहन पुनरीक्षण शुरू करने का निर्णय लिया है। देश के बाकी हिस्सों में SIR के लिए शेड्यूल यथासमय जारी किया जाएगा।"

क्या है Special Intensive Revision?

चुनाव आयोग का कहना है कि वोटर लिस्ट को पारदर्शी बनाने के लिए समय-समय पर उसका पुनरीक्षण करना जरूरी होता है। अयोग्य व्यक्तियों को हटाकर चुनाव की शुचिता को बढ़ाता है। 

आयोग ने बीते दिन SIR पर हो रहे विरोध पर जवाब देते हुए इसका महत्व समझाया था। आयोग ने कहा था, आयोग ने कहा, "भारत का संविधान भारतीय लोकतंत्र की जननी है....तो क्या इन बातों से डरकर, निर्वाचन आयोग को कुछ लोगों के बहकावे में आकर, संविधान के खिलाफ जाकर, पहले बिहार में, फिर पूरे देश में, मृतक मतदाताओं, स्थायी रूप से पलायन कर चुके मतदाताओं, दो स्थानों पर वोट दर्ज कराने वाले मतदाताओं, फर्जी मतदाताओं या विदेशी मतदाताओं के नाम पर फर्जी वोट डालने का रास्ता बनाना चाहिए?"


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नए उपराष्ट्रपति के लिए थावरचंद गहलोत, ओम माथुर का नाम

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफा देने के 3 दिनों के भीतर निर्वाचन आयोग ने इस पद के लिए चुनाव प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है। चुनाव की तारीखें जल्द घोषित की जाएंगी।

इस बीच, भाजपा इस पद के लिए अपनी विचारधारा के प्रति समर्पित कार्यकर्ता को उम्मीदवार बना सकती है। फिलहाल जिन नामों पर पार्टी में विचार चल रहा है, उनमें कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। अन्य नाम सिक्किम के राज्यपाल ओम माथुर का भी है।

आयोग ने इस पद के लिए निर्वाचक मंडल, रिटर्निंग ऑफिसर और अन्य जरूरी चीजों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। आयोग की तैयारियों के बीच भाजपा की कोशिश होगी कि इस पद का उम्मीदवार किसी अन्य सहयोगी को बनाने की जगह अपने उम्मीदवार का नाम तय कर उसके नाम पर सहयोगी दलों को राजी करे।

दरअसल, जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई की रात अचानक देश के 14वें उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे दिया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को धनखड़ का इस्तीफा मंजूर कर लिया था। 74 साल के धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था।

गहलोत जातीय समीकरण में भी फिट

थावरचंद गहलोत अभी कर्नाटक के राज्यपाल हैं। 77 वर्षीय गहलोत राज्यसभा में सदन के नेता रह चुके हैं साथ ही केंद्रीय मंत्री का पद भी संभाल चुके हैं। भाजपा में वे सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई पार्लियामेंट्री बोर्ड के सदस्य भी रहे हैं। जातीय समीकरण (दलित) में भी वे फिट बैठते हैं। वह मध्य प्रदेश से हैं। उनके पास प्रशासनिक अनुभव भी है।

माथुर मोदी-शाह के करीबी

ओम माथुर अभी सिक्किम के राज्यपाल हैं। 73 वर्षीय माथुर पार्टी के कद्दावर नेता हैं और राजस्थान से आते हैं। वे गुजरात के चुनाव प्रभारी तब रहे हैं, जब पीएम मोदी वहां के मुख्यमंत्री थे। वे मोदी के साथ ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भी करीबी माने जाते हैं। माथुर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में प्रचारक रह चुके हैं।

भाजपा के नाम पर सहमति नहीं तो उप सभापति हरिवंश का नाम

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि निर्वाचन आयोग की तरफ से उपराष्ट्रपति पद के चुनाव की तारीख घोषित होते ही इस पद के लिए एनडीए प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर दी जाएगी। यदि भाजपा के किसी प्रत्याशी के नाम पर एनडीए में सहमति बनाने में समस्या आई तो मौजूदा उप सभापति हरिवंश भी इस पद के उम्मीदवार बनाए जा सकते हैं।

विपक्ष उतारेगा मजबूत प्रत्याशी

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है, प्रत्याशी का चयन ठोक बजाकर ही किया जाएगा, क्योंकि विपक्ष से भी कोई मजबूत प्रत्याशी उतारे जाने की पूरी संभावना है। ऐसे में NDA इस पद के लिए प्रत्याशियों के कद, अनुभव व जातीय समीकरण को प्राथमिकता देगी।

6 स्टेप में चुन जाते हैं उपराष्ट्रपति...

स्टेप-1 : निर्वाचक मंडल का गठन करना

उपराष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल करता है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के सभी निर्वाचित और नामित सदस्य शामिल होते हैं।

स्टेप-2: चुनाव की अधिसूचना जारी होना

निर्वाचन आयोग द्वारा अधिसूचना में नामांकन, मतदान और परिणाम की तारीखें होती हैं।

स्टेप-3: नामांकन प्रक्रिया

उम्मीदवार को कम से कम 20 सांसदों द्वारा प्रस्तावक और 20 सांसदों द्वारा समर्थक के रूप में हस्ताक्षर के साथ नामांकन पत्र दाखिल करना होता है।

स्टेप-4 : सांसदों के बीच प्रचार होता है

केवल सांसद मतदाता होते हैं। इसलिए यह प्रचार सीमित दायरे में होता है। उम्मीदवार और उनके समर्थक दल प्रचार में शामिल होते हैं।

स्टेप-5: मतदान की प्रक्रिया शुरू होगी

हर सांसद मतपत्र पर प्रत्याशियों को प्राथमिकता के क्रम में (1, 2, 3...) अंकित करता है।

स्टेप-6: मतों की गिनती और परिणाम

जीत के लिए कुल वैध मतों का साधारण बहुमत (50% से अधिक) प्राप्त करना होता है। रिटर्निंग ऑफिसर नतीजे की घोषणा करते हैं।


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बिहार से बाहर रहने वाले मतदाता भी भरेंगे गणना फॉर्म, नहीं तो वोटर लिस्ट से कट जाएगा नाम

मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण अभियान जोरों पर है। हर मतदाता अपने-अपने गणना प्रपत्र भरने के लिए आवश्यक कागजात जुटाने में लगे हैं। निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, घर पर रहने वाले मतदाताओं के साथ बिहार से बाहर रहने वाले मतदाताओं को पुनरीक्षण फॉर्म भरना पड़ेगा।

सभी को समय सीमा के अंदर 26 जुलाई तक मतदाता विशेष पुनरीक्षण अभियान के तहत गणना प्रपत्र भरना अनिवार्य है। समय सीमा के भीतर विशेष पुनरीक्षण नहीं कराने वाले मतदाताओं का नाम मतदाता सूची से हटा दिया जाएगा। उन्हें फिर नए सिरे से मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए प्रपत्र छह भरना होगा।

बीडीओ सह सहायक निर्वाचन पदाधिकारी परवेज आलम ने बताया कि प्रत्येक मतदाता को अपना विशेष गहन पुनरीक्षण कराना आवश्यक है। समय सीमा के अंदर प्रक्रिया के तहत पुनरीक्षण कराना आवश्यक है।

इधर, बूथ लेवल ऑफिसर ने बताया कि जो मतदाता राज्य में मौजूद हैं, उनके घर-घर जाकर बीएलओ फॉर्म भरवा रहें हैं। वहीं, जो लोग राज्य से बाहर कहीं भी रहते हो, वे ऑनलाइन ईसीआई एप या वेबसाइट से गणना प्रपत्र डाउनलोड कर 26 जुलाई 2025 तक फॉर्म भर सकते हैं।

हस्ताक्षर और दस्तावेज अपलोड करने के बाद ही उनका नाम मतदाता सूची में बना रहेगा। यदि यह फॉर्म नहीं भरा गया, तो संबंधित व्यक्ति का नाम मतदाता सूची से हटा दिया जाएगा और दोबारा जुड़वाने के लिए फॉर्म छह भरना होगा।

कहा कि 2003 की मतदाता सूची में जिनका नाम है, उन्हें कोई दस्तावेज नहीं देना है। सिर्फ गणना फॉर्म भरना पर्याप्त होगा। अगर माता-पिता का नाम 2003 की सूची में है, तो भी दस्तावेज नहीं लगेगा, बशर्ते परिवार से संबंध स्पष्ट हो।

अधिकारियों की माने तो इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी पात्र नागरिक मतदाता सूची में शामिल हों और कोई भी पात्र मतदाता मतदाता सूची से बाहर न हो। साथ ही कोई भी अपात्र मतदाता इसमें शामिल न हो। मृत, स्थानांतरित, अनुपस्थित मतदाताओं का नाम हटाना भी इसका उद्देश्य है ।

भारत निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशानुसार अर्हता तिथि एक जुलाई 2025 के आधार पर मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण अभियान, 2025 में 26 जुलाई तक घर-घर सर्वेक्षण किया जाएगा तथा एक अगस्त को मतदाता सूची का प्रारूप प्रकाशन किया जाएगा।

दावा-आपत्ति दाखिल करने की अवधि एक अगस्त से एक सितंबर तक निर्धारित की गई है। मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन 30 सितंबर को किया जाएगा। अंतिम मतदाता सूची की एक प्रति सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों के साथ साझा की जाएगी। यह ईसीआई और सीईओ की वेबसाइट पर भी उपलब्ध रहेगी।


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केजरीवाल का गुजरात में ऐलान-बिहार में अकेले चुनाव लड़ेगी AAP

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ती जा रही है। राजनीतिक दल अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में व्यस्त हैं. इसी बीच, आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है. उन्होंने स्पष्ट किया कि AAP बिहार विधानसभा चुनाव में अकेले उतरेगी और कांग्रेस या INDIA गठबंधन के साथ कोई गठबंधन नहीं करेगी. यह घोषणा केजरीवाल ने गुजरात दौरे के दौरान दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में की.

केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “AAP बिहार चुनाव अकेले लड़ेगी. INDIA गठबंधन केवल लोकसभा चुनाव 2024 के लिए था. अब कांग्रेस के साथ हमारा कोई गठबंधन नहीं है.” उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, “अगर गठबंधन था, तो कांग्रेस ने गुजरात के विसावदर उपचुनाव में हिस्सा क्यों लिया? वे हमें हराने और वोट काटने आए थे. बीजेपी ने कांग्रेस को हमारे खिलाफ भेजा था.” केजरीवाल का यह बयान बिहार में विपक्षी एकता को झटका दे सकता है, क्योंकि INDIA गठबंधन में शामिल दलों के बीच पहले से ही तनाव की खबरें आ रही हैं.

243 सीटों पर चुनाव की तैयारी कर रही AAP

AAP ने बिहार में अपनी संगठनात्मक तैयारियां तेज कर दी हैं. पार्टी के बिहार प्रभारी और दिल्ली के विधायक अजेश यादव ने हाल ही में बिहार इकाई के साथ बैठक की, जिसमें हर गांव तक संगठन को मजबूत करने पर जोर दिया गया. AAP के बिहार प्रदेश उपाध्यक्ष मनोज कुमार ने X पर पोस्ट करते हुए कहा, “बिहार की जनता के लिए AAP सर्वश्रेष्ठ विकल्प है. हम सभी 243 सीटों पर पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ेंगे और बिहार को केजरीवाल मॉडल की सरकार चुनने का मौका देंगे.”

क्या बिहार में कांग्रेस के वोट बैंक पर डाका डालेगी AAP?

बिहार में 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर महज 7 प्रतिशत था और वह महागठबंधन के साथ 70 सीटों पर लड़ी थी, जिसमें से केवल 19 सीटें जीती थीं. हाल के उपचुनावों में भी कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है. पोल ट्रैकर के सर्वे के मुताबिक, 2025 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को 44.2 प्रतिशत वोट और 126 सीटें मिलने का अनुमान है, लेकिन इसमें कांग्रेस का योगदान सीमित रह सकता है. दूसरी ओर, AAP बिहार में भ्रष्टाचार, मुफ्त बिजली, और शिक्षा जैसे मुद्दों को उठाकर शहरी और युवा वोटरों को लुभाने की कोशिश कर रही है.

जल्द बिहार के दौरा कर सकते हैं अरविंद केजरीवाल 

पार्टी सूत्रों के अनुसार AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल जल्द ही बिहार का दौरा करने वाले हैं. पार्टी व्हाट्सएप ग्रुप्स, इंस्टाग्राम लाइव, और स्थानीय कैंपेनिंग के जरिए युवा और महिला वोटरों तक पहुंच रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि बिहार में कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक, खासकर शहरी और मध्यम वर्ग, अब AAP की ओर खिसक सकता है, क्योंकि कांग्रेस की आंतरिक लड़ाई कई बार पब्लिक डोमेन में देखने को मिली है. AAP ने स्पष्ट किया है कि वह बिहार में किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी, जिससे RJD और JDU-BJP के वोट बैंक में सेंध लगने की संभावना है.


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गुजरात में बीजेपी को मिली बढ़त, लुधियाना वेस्ट में AAP आगे

देश के 4 राज्यों की 5 विधानसभा सीटों (Bypolls Results 2025) पर गुरुवार को मतदान हुए थे। इन सभी सीटों के नतीजे आज सामने आने वाले हैं। सुबह 8 बजे से ही मतदान केंद्रों पर वोटों की गिनती शुरू हो चुकी है। खासकर आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए यह परिणाम बेहद अहम साबित हो सकते हैं।

19 जून को पंजाब की लुधियाना वेस्ट, पश्चिम बंगाल की कालिगंज,केरल की निलाम्बुर, गुजरात की विदासवर और कादी सीटों पर उपचुनाव करवाए गए थे, जिसके नतीजों की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है।

बीजेपी ने AAP को पछाड़ा

गुजरात की विसावदर सीट पर शुरुआती रुझानों में आगे रहने वाले AAP के गोपाल इटालिया अब बीजेपी से पीछे चल रहे हैं। बीजेपी उम्मीदवार कीर्ति पटेल ने 23 हजार से अधिक वोटों से बढ़त बना रखी है।

लुधियाना में AAP आगे

लुधियाना वेस्ट सीट पर आम आदमी पार्टी के विधायक संजीव अरोड़ा ने 10 हजार मतों से बढ़त बना रखी है। वहीं कांग्रेस के भारत भूषण फिर से दूसरे नंबर पर आ गए हैं। वहीं, बीजेपी के जीवन गुप्ता 7 हजार से ज्यादा वोटों से पिछड़कर तीसरे नंबर पर पहुंच गए हैं।

कालिगंज में TMC आगे

पश्चिम बंगाल की कालिगंज सीट पर तृणमूल कांग्रेस (TMC) की उम्मीदवार अलिफा अहमद आगे चल रहीं हैं। कांग्रेस के काबिलउद्दीन शेख दूसरे और बीजेपी के आशीष घोष तीसरे स्थान पर हैं।

गुजरात में बीजेपी को बढ़त

गुजरात की विसावदर सीट पर बीजेपी AAP को पछाड़कर आगे निकल गई है। वहीं, कादी सीट पर भी बीजेपी उम्मीदवार राजेंद्र छाबड़ा आगे चल रहे हैं।

लुधियाना में बीजेपी दूसरे और कांग्रेस तीसरे स्थान पर पहुंची

लुधियाना वेस्ट में कांग्रेस उम्मीदवार भरत भूषण तीसरे स्थान पर पहुंच गए हैं और बीजेपी उम्मीदवार जीवन गुप्ता ने बढ़त हासिल करते हुए दूसरे स्थान पर जगह बना ली है। हालांकि, AAP के संजीव अरोड़ा 8 हजार से ज्यादा मतों से आगे चल रहे हैं।

गुजरात की विदासवर सीट पर उलटफेर

गुजरात की विदासवर सीट के शुरुआती रुझानों में AAP आगे चल रही है। AAP उम्मीदवार इतालिया गोयल 7 हजार से ज्यादा वोटों से आगे हैं। वहीं, बीजेपी के कीर्ति पटेल दूसरे नंबर पर हैं।

लुधियाना वेस्ट में AAP आगे

पंजाब की लुधियाना वेस्ट सीट पर AAP के संजीव अरोड़ा आगे चल रहे हैं। कांग्रेस के भारत भूषण 1269 मतों के अंतर से दूसरे नंबर पर हैं। वहीं, बीजेपी के जीवन गुप्ता तीसरे स्थान पर हैं।

केरल में कांग्रेस आगे

केरल की निलाम्बुर सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार ने बढ़त बना रखी है। वहीं CPI(M) दूसरे स्थान पर है।

बंगाल में कड़ी सुरक्षा के बीच गिनती जारी

पश्चिम बंगाल की कालिगंज विधानसभा सीट पर कड़ी सुरक्षा के बीच वोटों की गिनती जारी है। यहां भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।

गुजरात की कादी सीट पर गिनती शुरू

गुजरात की कादी विधानसभा सीट पर वोटों की गिनती शुरू हो चुकी है। पहले मतपत्रों की गिनती की जा रही है। इस सीट से बीजेपी ने राजेंद्र छाबड़ा, कांग्रेस ने रमेश छाबड़ा और AAP ने जगदीश छाबड़ा को टिकट दिया है।

लुधियाना में सुरक्षा सख्त

लुधियाना के एसपी डीके चौधरी ने बताया कि खालसा कॉलेज में वोटों की गिनती शुरू हो चुकी है। पूरे परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। कॉलेज में तीन लेयर की सुरक्षा मौजूद है। 450 के लगभग पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं।

कैसे खाली हुई थीं पाचों सीटें?

बता दें कि गुजरात, पंजाब और पश्चिम बंगाल में जिन सीटों पर उपचुनाव हुए हैं, वहां के सिटिंग विधायकों का निधन हो गया था, जिसके कारण यह सीटें खाली हो गई थीं। वहीं, केरल और गुजरात की एक-एक सीट पर विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद यहां उपचुनाव करवाए गए।

लुधियाना में चौतरफा मुकाबला

पंजाब की लुधियाना वेस्ट सीट पर कई बड़ी पार्टियों के बीच कांटे की लड़ाई है। AAP ने इस सीट से राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को टिकट दिया था। वहीं, कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता भारत भूषण आशु को अपना उम्मीदवार घोषित किया था। इसके अलावा बीजेपी ने जीवन गुप्ता और शिरोमणी अकाली दल ने परुपकर सिंह घुमन को मैदान में उतारा था।

बीजेपी उम्मीदवार जीवन गुप्ता ने कहा, "मैं अपने सभी शुभ कामों की शुरुआत भगवान के आशीर्वाद से करता हूं। मैं भगवान शिव का भक्त हूं। मैं उनसे पंजाब की तरक्की और स्वर्णिम भविष्य की कामना की है।"



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चुनाव के फोटो-वीडियो 45 दिन बाद डिलीट कर दिए जाएंगे

अब चुनावों के दौरान खींची गई फोटो, CCTV फुटेज, वेबकास्टिंग और वीडियो रिकॉर्डिंग सिर्फ 45 दिनों तक ही सुरक्षित रखी जाएंगी। इसके बाद सारा डेटा डिलीट कर दिया जाएगा।

चुनाव आयोग (EC) ने 30 मई को सभी राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों को निर्देश दिया है कि अगर किसी निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव नतीजे को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जाती, तो 45 दिन बाद ये सारा डेटा नष्ट कर दिया जाए।

यह फैसला फुटेज के दुरुपयोग और सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही भ्रामक जानकारियों को रोकने के लिए लिया है। EC का कहना है कि हाल ही में कुछ गैर-उम्मीदवारों ने चुनावी वीडियो को तोड़-मरोड़कर गलत नरेटिव फैलाने की कोशिश की, जिससे मतदाताओं में भ्रम की स्थिति पैदा हुई।

कांग्रेस ने आयोग के इस नियम का विरोध किया है। पार्टी ने कहा कि पहले एक साल तक इस डेटा को सेफ रखा जाता था, ताकि लोकतांत्रिक व्यवस्था में कभी भी इसकी जांच हो सके। आयोग का यह नियम पूरी तरह से लोकतंत्र के खिलाफ है। इसे तुरंत वापस लेना चाहिए।

इससे पहले 20 दिसंबर 2024 को केंद्र सरकार ने चुनाव नियम बदलकर पोलिंग स्टेशन के CCTV, वेबकास्टिंग और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग को सार्वजनिक करने से रोक दिया था।

आयोग बोला- फुटेज का यूज गलत नरेटिव के लिए होता था

चुनाव आयोग ने कहा कि वोटिंग और मतगणना जैसे चुनावी चरणों की रिकॉर्डिंग का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। यह काम आंतरिक निगरानी और पारदर्शिता के लिए किया जाता है,

लेकिन इन रिकार्डिंग्स का इस्तेमाल गलत नरेटिव के लिए भी किया जाता रहा है। इसलिए इन्हें लंबे समय तक रखने का कोई औचित्य नहीं रह गया है।

अब तक चुनाव से जुड़ी रिकॉर्डिंग एक साल तक संभाल कर रखी जाती थी, ताकि जरूरत पड़ने पर कोई कानूनी जांच हो सके।

दिसंबर 2024 में भी नियमों में बदलाव हुआ था

केंद्र सरकार ने 20 दिसंबर को पोलिंग स्टेशन के CCTV, वेबकास्टिंग फुटेज और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक डॉक्यूमेंट्स को पब्लिक करने से रोकने के लिए चुनाव नियमों में बदलाव किया था।

अधिकारियों ने बताया कि AI के इस्तेमाल से पोलिंग स्टेशन के CCTV फुटेज से छेड़छाड़ करके फेक नरेटिव फैलाया जा सकता है। बदलाव के बाद भी ये कैंडिडेट्स के लिए उपलब्ध रहेंगे। अन्य लोग इसे लेने के लिए कोर्ट जा सकते हैं। चुनाव आयोग की सिफारिश पर कानून मंत्रालय ने द कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल- 1961 के नियम में बदलाव किया था।

हालांकि, कांग्रेस ने चुनाव से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक डॉक्यूमेंट्स पब्लिक करने से रोकने के नियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

कांग्रेस बोली- मोदी सरकार लोकतांत्रिक व्यवस्था को खत्म कर रही

कांग्रेस ने चुनाव आयोग के इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा है कि यह कदम लोकतंत्र और पारदर्शिता के खिलाफ है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि 'चुनाव आयोग और मोदी सरकार मिलकर लोकतांत्रिक व्यवस्था को खत्म करने में लगे हैं। पहले दस्तावेजों को जनता से छिपाया गया, अब रिकॉर्ड ही मिटाए जा रहे हैं। आयोग को यह आदेश तुरंत वापस लेना चाहिए।'


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चुनाव आयोग AI के इस्तेमाल पर गाइडलाइन बना रहा

चुनाव प्रचार के लिए कंटेंट तैयार करने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की भूमिका तेजी से बढ़ रही है। इसे देखते हुए चुनाव आयोग इसके दुरुपयोग पर रोक लगाने और बेहतर इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए गाइडलाइंस बना रहा है। इसकी झलक बिहार विधानसभा चुनाव में दिख सकती है।

सूत्रों ने बताया कि राजनीतिक दलों, मीडिया और सोशल मीडिया के लिए जनरेटिव AI संबंधी कंटेंट के बारे में बताना होगा। प्रचार में AI के इस्तेमाल के नियम और तरीके साफ किए जाएंगे। फेक और डीपफेक प्रचार वीडियो और ऑडियो के बारे में भी दिशा-निर्देश बनाए जा रहे हैं।

इसका मकसद है कि AI कंटेंट का इस्तेमाल करके मतदाताओं को भ्रमित या उनकी पसंद को गलत तरीके से प्रभावित न किया जा सके। साथ ही यह यह करने की कोशिश की जाएगी कि मतदाताओं की निजता या चुनाव की निष्पक्षता पर आंच न आए।

लोकसभा चुनाव में 5 करोड़ से ज्यादा रोबोट कॉल हुईं

आयोग का यह कदम ग्लोबल इलेक्शन ट्रैकिंग की AI पर रिपोर्ट को देखते हुए अहम है। इससे पता चला है कि 2024 लोकसभा चुनाव में AI का इस्तेमाल अमेरिकी चुनाव से 10% और ब्रिटिश चुनाव से 30% ज्यादा है।

फ्यूचर शिफ्ट लैब्स की इस रिपोर्ट में 74 देशों के चुनाव में AI की ट्रैकिंग की गई। भारत के चुनाव में इसका सबसे ज्यादा 80% इस्तेमाल हुआ। AI से 5 करोड़ से ज्यादा रोबोट कॉल की गईं। उम्मीदवारों की आवाज में इन डीपफेक कॉल्स का कंटेंट जेनरेट किया गया। 22 भाषाओं में डीपफेक से प्रचार सामग्री तैयार की गई।

चुनाव में फेक वीडियो के 3 मामले

1. गृह मंत्री का फेक वीडियो कई अकाउंट्स ने शेयर किया: 27 अप्रैल, 2024 को सोशल मीडिया पर गृह मंत्री अमित शाह का एक फेक वीडियो वायरल हुआ। इसे तेलंगाना कांग्रेस और CM रेवंत रेड्डी ने शेयर किया था। इसमें वे SC-ST और OBC के आरक्षण को खत्म करने की बात करते सुनाई दे रहे थे।

PTI की फैक्ट चैक यूनिट ने कहा कि मूल वीडियो में अमित शाह ने तेलंगाना में मुसलमानों के लिए असंवैधानिक आरक्षण हटाने की बात कही थी। इस मामले को लेकर 28 अप्रैल को दिल्ली पुलिस ने FIR दर्ज की और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को समन जारी किया।

2. कांग्रेस नेता का वीडियो वायरल, कहा- TMC को वोट देने से अच्छा BJP को वोट दें: TMC ने कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी का एक वीडियो शेयर किया। इसमें वे पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद की एक रैली में कहते सुनाई दिए कि TMC को वोट देने की बजाय भाजपा को वोट देना अच्छा होगा।

इस पर TMC ने कहा कि अधीर रंजन भाजपा की B टीम हैं। जवाब में कांग्रेस ने कहा कि वीडियो के साथ छेड़छाड़ की गई है। पश्चिम बंगाल कांग्रेस कमेटी ने इस वीडियो को लेकर चुनाव आयोग के पास शिकायत दर्ज कराई और आरोपियों पर कानूनी कार्रवाई करने की अपील की।

3. लोकसभा चुनाव से पहले डीपफेक का शिकार हुए आमिर खान: आमिर खान का एक वीडियो वायरल हुआ। इसमें वे एक पार्टी का समर्थन करते हुए दिखाई दे रहे थे। 27 सेकेंड के इस वीडियो में आमिर को कहते दिखाया गया- भारत एक गरीब देश नहीं है। हर नागरिक लखपति है। हर व्यक्ति के पास कम से कम 15 लाख रुपए होने चाहिए।

एक्टर वीडियो में आगे कहते हैं- क्या कहा, आपके 15 लाख रुपए नहीं हैं। तो कहां गए आपके 15 लाख रुपए। जुमले वादों से रहो सावधान, नहीं तो होगा तुम्हारा नुकसान।

इस वीडियो पर आमिर ने कहा था कि वे किसी भी पार्टी का समर्थन नहीं करते हैं और यह वीडियो डीपफेक है। इस मामले में उन्होंने साइबर सेल में FIR भी दर्ज कराई थी। मीडिया रिपोर्ट्स का दावा है कि वीडियो उस वक्त का है, जब आमिर ने अपने शो सत्यमेव जयते के लिए प्रोमो शूट किया था। AI की मदद से आमिर की आवाज में फेरबदल कर दिया गया।


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महिलाओं ने दिल्ली चुनाव में रचा इतिहास

दिल्ली विधानसभा चुनाव में महिला मतदाताओं ने इस बार इतिहास रचते हुए मतदान में पुरुषों को पछाड़ दिया है। यह पहला मौका है जब दिल्ली में पहली बार महिला मतदाताओं का मत प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले अधिक रहा।

ऐसे में महिला मतदाताओं का वोट चुनाव परिणाम निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाएगा। उनका वोट जिस दल को अधिक पड़ा होगा दिल्ली का ताज उसी के सिर सजेगा।  चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों ने भी महिलाओं को साधने की पूरी कोशिश की और चुनाव की घोषणा से पहले से ही महिलाओं का मुद्दा छाया रहा।

(महिलाओं ने दिल्ली चुनाव में बढ़-चढ़कर मतदान किया। जागरण फोटो)

सबसे पहले आम आदमी पार्टी (आप) ने महिलाओं को हर महीने 2100 रुपये आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। इसके बाद कांग्रेस व भाजपा ने हर महीने महिलाओं को उनके खाते में ढाई हजार रुपये देने की घोषणा की।

इसके अलावा भाजपा ने गर्भवती महिलाओं के लिए 21 हजार रुपये, गरीब महिलाओं को 500 रुपये में गैस सिलेंडर और होली व दीपावली में मुफ्त सिलेंडर देने की घोषणा की। इसका असर यह हुआ कि महिलाओं ने मतदान में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। इस वजह से महिलाओं का मत प्रतिशत 60.92 प्रतिशत रहा।

(युवा महिलाओं ने भी जमकर किया वोट। जागरण फोटो)

वहीं, 60.20 प्रतिशत पुरुष मतदाताओं ने मतदान किया। आंकड़ों के अनुसार, इस बार 40 विधानसभा क्षेत्रों में महिलाओं का मत प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले ज्यादा रहा है। वहीं, 30 विधानसभा में पुरुषों का मत प्रतिशत अधिक है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि महिलाओं ने किस दल की घोषणाओं पर ज्यादा विश्वास जताया है।

(मुस्लिम महिलाओं ने भी जमकर वोट किया है। जागरण फोटो)

वैसे पुरुष मतदाताओं की कुल संख्या अधिक होने के कारण छह लाख 34 हजार 337 वोट पुरुषों का अधिक पड़ा है। पिछले चुनाव में 31 विधानसभा क्षेत्रों में महिलाओं का मत प्रतिशत पुरुषों से अधिक था। इससे पहले वर्ष 2015 में 15 विधानसभा क्षेत्रों में महिलाओं का मत प्रतिशत अधिक रहा था।

दिल्ली में विधानसभा चुनावों में कुल मतदान, पुरुष व महिला मतदान के आंकड़े 

दिल्ली में कुल मतदाता- 1,56,14,000

पुरुष मतदाता- 83,76,173

महिला मतदाता- 72,36,560

थर्ड जेंडर मतदाता- 1267

चुनाव में हुआ कुल मतदान - 94,51,997

पुरुष मतदाताओं के पड़े वोट- 50,42,966

महिलाओं मतदाताओं के पड़े वोट- 44,08,629

थर्ड जेंडर मतदाताओं के पड़े वोट- 402


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Delhi Chunav Result से पहले हलचल तेज, AAP की बैठक में सभी 70 प्रत्याशियों के साथ मंथन कर रहे केजरीवाल

दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Vidhan Sabha Chunav 2025) के नतीजों से पहले आज आम आदमी पार्टी (AAP) के सभी 70 उम्मीदवारों की आज बैठक शुरू हो गई है।

बताया गया कि इस बैठक में नतीजे वाले दिन के लिए पार्टी की तैयारियों और विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोपों को लेकर बैठक चल रही है। यह बैठक अरविंद केजरीवाल के आवास पर ही चल रही है।

आप के वरिष्ठ नेता ने बताई यह अहम बात

आम आदमी पार्टी ने संभावित विधायकों की खरीद फरोख्त के आरोपों के बीच चुनाव लड़ रहे अपने प्रत्याशियों की बैठक बुलाई है। जिसमें संभावित सरकार को लेकर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होगी। आप के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार पूर्ण बहुमत से बन रही है, मगर भाजपा माहौल खराब करने के लिए फर्जी एग्जिट पोल दिखाकर उनके संभावित विधायकों को खरीदना चाहती है।

केजरीवाल ने अपने संभावित विधायकों से क्या कहा?

ऐसे में पार्टी नेतृत्व अपने संभावित विधायकों के साथ बैठकर इस मुद्दे पर चर्चा करेगा और उन्हें आश्वस्त करेगा कि सरकार उनकी बन रही है। वहीं, इन संभावित विधायकों से यह भी कहा जाएगा कि किसी तरीके का विपक्षी दलों द्वारा संपर्क करने पर उसकी रिकॉर्डिंग जरूर करें।

बता दें कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए पांच फरवरी को वोटिंग हुई थी, जबकि आठ अफवरी को चुनाव का परिणाम आएगा। वहीं, ज्यादातर एग्जिट पोल के अनुसार, दिल्ली में इस बार भाजपा की सरकार बन रही है। लेकिन सरकार किसकी बनेगी, यह तो आठ फरवरी को ही पता चलेगा।


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दिल्ली में 60.45% वोटिंग: 28 विधानसभा क्षेत्रों में 60% से कम रहा मतदान, 2008 के बाद पड़े सबसे कम वोट

दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Vidhan Sabha Chunav 2025) में लगातार दूसरी बार मतदान के प्रतिशत में गिरावट हुई और पिछले तीन चुनावों के मुकाबले इस बार सबसे कम मतदान हुआ। इसका कारण यह है कि पिछले तीन चुनावों जैसा इस बार मतदाताओं में उत्साह नहीं था।

किन सीटों पर पड़े सबसे ज्यादा वोट?

इस वजह से दिल्ली के एक भी विधानसभा क्षेत्र में भी मतदान का आंकड़ा (Delhi Voting Percentage) 70 प्रतिशत नहीं पहुंच पाया और 28 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान 60 प्रतिशत से भी कम रहा है

पश्चिमी दिल्ली के सुभाष नगर स्थित लिए मतदान केंद्र मे जोश के साथ कतार में खड़े वृद्ध , महिलाएं व युवा। फोटो- चंद्र प्रकाश मिश्र

इस बार मुस्तफाबाद, सीलमपुर, गोकलपुरी, बाबरपुर, त्रिलोकपुरी, सीमापुरी, मटियामहल व रोहतास नगर इन आठ विधानसभा क्षेत्रों में 65 प्रतिशत से अधिक मतदान जरूर रहा है, लेकिन बाबरपुर को छोड़कर बाकी क्षेत्रों में मत प्रतिशत घटा है।

इन सीटों पर घटा मतदान प्रतिशत

पिछली बार 17 विधानसभा क्षेत्रों में 65 प्रतिशत से अधिक मतदान रहा था। जिसमें से बल्लीमारान, सीलमपुर, गोलकपुरी, मुस्तफाबाद व मटियामहल इन पांच विधानसभा क्षेत्रों में मतदान 70 प्रतिशत से ज्यादा था। बल्लीमारान, सदर बाजार जैसे इलाकों में मतदान काफी घटा है।

2013 के चुनाव में बढ़ा था मतदान

असल में वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव भ्रष्टाचार व लोकपाल जैसे मुद्दों से लोग गोलबंद हुए थे। इस वजह से वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में बढ़ा था और 66 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ था। 

इसके बाद वर्ष 2015 के चुनाव में पानी माफ, बिजली हाफ व मोहल्ला क्लीनिक के मुद्दे पर मतदाता लामबंद हुए। इसके बाद वर्ष 2020 के चुनाव में 4.87 प्रतिशत मतदान कम होने के बावजूद 62 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ था। इस बार किसी एक दल के प्रति मतदाताओं में गोलबंदी नहीं देखी गई।

मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भी वोट बंटते दिखे। इस वजह से मतदाताओं में उत्साह थोड़ा कम रहा। अब मतदान के बाद आठ फरवरी आने वाले नतीजों पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। शनिवार को 19 मतगणना केंद्रों पर सुबह आठ बजे से वोटों की गिनती होगी।


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